एमपी में शिक्षक भर्ती में दिव्यांगता प्रमाण-पत्र के आधार पर चयन में गड़बड़ी की जांच करेंगे कलेक्टर

आयुक्त लोक शिक्षण श्रीमती अनुभा श्रीवास्तव ने स्पष्ट किया है कि शिक्षक भर्ती में दिव्यांगता प्रमाण-पत्र के आधार पर अभ्यथियों का चयन हुआ है। जहाँ तक अधिकांश दिव्यांगता प्रमाण-पत्र मुरैना जिले से जारी होने की बात है, इस संबंध में कलेक्टर मुरैना को जाँच कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है।

उल्लेखनीय है कि दिव्यांगता प्रमाण-पत्र के आधार पर नियुक्ति के लिए सामान्य प्रशासन विभाग के निर्देश तथा दिव्यांग एवं दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 और मध्यप्रदेश दिव्यांगजन अधिकार नियम 2017 के अनुसार 6 प्रतिशत पदों का आरक्षण प्रत्येक श्रेणी के लिए (1.5) प्रतिशत की सीमा में दृष्टि-बाधित और कम दृष्टि, बधिर और कम सुनने वाले, लोकोमोटर डिसेबिलेटी जिसमें सेरेब्रल पाल्सी, कुष्ठ रोग मुक्त, बौनापन, एसिड अटैक पीड़ित, मस्कुलर डिस्ट्रोफी और बहु विकलांगता को शामिल करते हुए किया जाता है। अधिसूचित चिकित्सा प्राधिकारी/ मेडिकल बोर्ड द्वारा जारी न्यूनतम 40 प्रतिशत दिव्यांगता का स्थायी प्रमाण-पत्र ही मान्य किया गया है। दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 के अनुसार धारा 58(3) में जारी दिव्यांगता प्रमाण-पत्र संपूर्ण देश में मान्य होता है।

आयुक्त लोक‍ शिक्षण द्वारा बताया गया कि स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा कि गई भर्ती में उक्त नियमों के अनुरूप कार्यवाही की गई है। पात्रता परीक्षा के आधार पर मेरिट क्रम में अभ्यर्थियों का चयन किया गया है। दस्तावेज सत्यापन के समय ऐसे अभ्यर्थी जिनके द्वारा दिव्यांगता प्रमाण-पत्र प्रस्तुत किया गया है का जिला स्तर पर प्रमाणीकरण अधिकारी द्वारा मूल प्रमाण-पत्र से सत्यापन किया गया है। आयुक्त लोक शिक्षण ने कहा कि कलेक्टर मुरैना से जाँच प्रतिवेदन प्राप्त होने के बाद विधि सम्मत कार्यवाही की जाएगी।