एमपी में चिकित्सा प्रतिपूर्ति के देयकों में भी भ्रष्टाचार, तीन वर्षों में भी नहीं हुआ भुगतान

मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने जारी विज्ञप्ति में बताया की राज्य कर्मचारियों को निजि अस्पतालों में सरकारी खर्चे पर ईलाज की सुविधा न होने के कारण यह कर्मचारी अपने पैसों से गंभीर बीमारियों ओपन हार्ट सर्जरी, कैंसर, लकवा, कोविड जैसी बीमारियों का इलाज स्वयं के खर्चे पर लाखों का कर्ज लेकर करा रहे हैं। इलाज के उपरांत यह कर्मचारी इलाज के दौरान खर्च हुई राशि के देयक विभाग को भुगतान हेतु प्रस्तुत करते हैं।

प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी जबलपुर की लापरवाही, उदासीनता के चलते प्राथमिक विभाग में कार्यरत दर्जनों शिक्षकों/अध्यापकों के लाखों रूपये के चिकित्सा प्रतिपूर्ति के देयक विगत तीन वर्षो से कार्यालय में धूल खा रहे हैं, शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों की लापरवाही के चलते देयकों का भुगतान नहीं पा रहा है। लगभग आधा सैंकडा शिक्षक/अध्यापक के चिकित्सा प्रतिपूर्ति के देयक लंबित हैं, जिनमें से चुनिन्दा शिक्षकों के ही देयकों का भुगतान हुआ, जो भ्रष्टचार का संदेह उत्पन्न करता है?

संघ के योगेन्द्र दुबे, अर्वेन्द्र राजपूत, अवधेश तिवारी, अटल उपाध्याय, संजय यादव, गोविन्द विल्थरे, आरके परोहा, आलोक अग्निहोत्री, वीरेन्द्र चन्देल, एसपी बाथरे, बृजेश मिश्रा, मनोज सिंह, चूरामन गुर्जर, एसके बांदिल, रजनीश तिवारी, पवन श्रीवास्तव, एसके त्रिपाठी, चंदु जाउलकर, उमेश पारखी, विट्टू आहलूवालिया, शंकर पारिख, अंकुर प्रताप सिंह आदि ने प्रदेश के शिक्षा मंत्री को ई-मेल भेजकर मांग की है कि शिक्षकों/अध्यापकों के लंबित चिकित्सा प्रतिपूर्ति के देयकों का शीघ्र भुगतान कराते हुए भुगतान में हो रहे विलंब के लिए प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी पर कार्यवाही की जाए।