रक्षाबंधन पर छलका विद्युत कर्मियों का दर्द: शीघ्र लागू हो कंपनी टू कंपनी स्थानांतरण नीति

अपने परिवार के साथ त्यौहार मनाना किसे अच्छा नहीं लगता, लेकिन हर किसी के नसीब में ये खुशी नहीं होती। खासतौर पर जब सीधे जनता से जुड़े सरकारी विभाग की बात आती है तो यहां नौकरी कर रहे कर्मियों को त्यौहार के दिन भी छुट्टी मिलना असंभव हो जाता है।

वहीं जिन कर्मियों का घर उसी शहर में है, जहां वे पदस्थ हैं तो उन्हें परिवार से दूर रहने की पीड़ा नहीं सहनी पड़ती और वे जैसे-तैसे परिजनों के साथ मिलकर त्यौहार मना ही लेते हैं। लेकिन उन कर्मियों के मन में क्या बीत रही होगी, जो रक्षाबंधन के दिन अपनी बहनों से सैकड़ों किलोमीटर दूर अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रहे हैं।

मध्य प्रदेश की विद्युत कंपनियों में पदस्थ मैदानी विद्युत कर्मियों का यह दर्द हर त्यौहार में टीस बनकर उभर जाता है। जब वे घर-परिवार से सैकड़ों किलोमीटर दूर त्यौहारों में अकेले रहने को मजबूर होते हैं। लेकिन ये दर्द मुख्यालय की ऊँची कुर्सी पर बैठे साहब शायद ही समझ पायें, क्योंकि उन्हें तो सब कुछ आसान नजर आता है। न तो वे कभी जेठ की अंगारों जैसी धूप में भभकते ट्रांसफार्मर के ऊपर चढ़े हैं और न ही भयावह बारिश में पोल पर चढ़कर करंट का कार्य किये हैं। ये दर्द तो वही कर्मी जान सकता है, जो इसे भुगत रहा है।

खासतौर पर विभिन्न कंपनियों में पदस्थ नियमित और संविदा कर्मी, चाहे वो लाइनमैन और या आफिस स्टॉफ का सदस्य, अपने घर-परिवार से दूर नौकरी करने को मजबूर है। ऐसा नहीं की विद्युत विभाग में ट्रांसफर नहीं होते। विद्युत कंपनियों में भी ट्रांसफर होते हैं, लेकिन इसका लाभ नियमित और संविदा कर्मियों को नहीं मिल पाता, विशेष कर जो कर्मी एक कंपनी से दूसरी कंपनी में अपना ट्रांसफर किये जाने की उम्मीद किये बैठे हैं।

वहीं घर-परिवार से दूर अकेले रहने वाले नियमित और संविदा कर्मियों को इतना वेतन भी नहीं मिलता कि वे बार-बार लंबी यात्राओं का खर्च वहन कर सकें। उनकी तो ज्यादातर सैलरी किराये-भाड़े और भोजन की व्यवस्था में ही खर्च हो जाती है। अगर कर्मी यात्रा का खर्च उठा भी ले तो उसे अवकाश ही नहीं दिया जाता, जिससे वो घर जाकर अपने परिजनों के साथ त्यौहार मना सके।

अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुये अधिकांश नियमित और संविदा कर्मियों का कहना है कि अगर उनकी गृह नगर या आसपास नियुक्ति हो जाये तो भी परिजनों के साथ मिलकर उल्लासपूर्वक त्यौहार मना सकें, उनके साथ रह सकें। लंबे अर्से से उनकी एक ये भी मांग है कि उन्हें भी कंपनी टू कंपनी स्थानांतरण की सुविधा मिलनी चाहिए।