एमपी जेनको के स्वामित्व में बनें नए विद्युत उत्पादन गृह, अभियंता संघ ने सीएम को लिखा पत्र

मप्र वि‍द्युत मंडल अभि‍यंता संघ ने प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर कहा है कि गत लगभग 5-6 वर्षों में मध्य प्रदेश विद्युत उत्पादन कंपनी को ‘अमरकंटक’ एवं ‘सतपुड़ा’ ताप विद्युत गृह की इकाइयों को उपयोगी आयु पूर्ण होने एवं अन्य कारणों से बंद करना पड़ा, जिससे राज्य की अन्य स्रोतो पर निर्भरता बढ़ी है।

संघ ने कहा कि राज्य में चतुर्दिश आर्थिक प्रगति हो रही है। स्वाभाविक है की विद्युत की खपत भी लगातार बढ़ रही है। ऐसे में यह आवश्यक है की राज्य की खपत में स्वयं के स्रोतों से विद्युत आपूर्ति कम से कम 70-75 प्रतिशत अवश्य रहे। यहाँ यह उल्लेखित करना उचित होगा की जनरेशन कंपनी के ‘अमरकंटक’ एवं ‘सतपुड़ा’ ताप विद्युत गृह की प्रति यूनिट उत्पादन लागत, सम्पूर्ण प्रदेश की सबसे कम लागत में से है।

ज्ञात हो कि राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी राज्य के विद्युत आवश्यकता को देखते हुए ही अपना संधारण कार्यक्रम तय करती है एवं विद्युत आपूर्ति का पूर्ण भुगतान प्राप्त न होने पर भी राज्य की विषम परिस्थितयों को ध्यान में रखते हुए विद्युत आपूर्ति सुचारु रखती है। अतः प्रदेश की पूर्ण स्वामित्व वाली विद्युत कंपनीयों की प्रासंगिकता अत्यंत महत्वपूर्ण है।

ऐसे में बिजली की बढ़ती हुई मांग के दृष्टिगत एवं विद्युत् इकाइयों के सेवानिवृत्त होने के बावजूद भी, नयी इकाइयों कि स्थापना ना होना प्रदेश हेतु अत्यंत चिंताजनक है। इसके अतरिक्त यहाँ यह भी नाकारा नहीं जा सकता की आने वाले वर्षों में संजय गाँधी ताप विद्युत गृह की पुरानी इकाइयों (जो लगभग अपनी आयु पूर्ण कर चुकीं हैं) को भी क्रमशः सेवानिवृत्त किया जा सकता है। जिससे राज्य की विद्युत उत्पादन कंपनी की क्षमता निरंतर घटती जाएगी एवं प्रदेश की निर्भरता निजी संस्थानों पर बढती ही जाएगी ।

अभियंता संघ ने कहा कि कोरोना काल के दुष्परिणामों के बाद अर्थवयवस्था तेजी से वापस अपनी रफ़्तार पर लौट रही है। ऐसे में राज्य की अर्थवयवस्था एवं विकास को सुदृण एवं गतिमान रखने में ‘निर्वाध विद्युत् आपूर्ति’ एक मुख्य घटक है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अत: यह उल्लेख करना आवश्यक है की राज्य की विद्युत उत्पादन कंपनी को मजबूती प्रदान करने दृष्टिगत कंपनी की स्थापित क्षमता में बढ़ोतरी अपेक्षित है, ताकि राज्य की उत्पादन कंपनी शासन एवं जनमानस की अपेक्षा और मंशा अनुसार भागीदारी निभाने में सक्षम हो।

अपने पत्र में अभियंता संघ ने सुझाव दिए कि-

•  पारम्परिक ऊर्जा विस्तार: सम्पूर्ण देश में इस समय बिजली की स्तिथि ने इस बात को प्रकाशित किया है की ऊर्जा कि जरूरतों की पूर्ति हेतु पारम्परिक ऊर्जा अपना स्थान नहीं छोड़ने वाली है, अर्ताथ हमें अपनी बढती  ऊर्जा की खपत के दृष्टिगत, नए तापीय आधारित बिजली संयंत्रों को शामिल करना आवश्यक है।  देश में अग्रणी ऊर्जा उत्पादन कंपनी NTPC जिसने नए कोयले आधारित प्लांट नहीं लगाने का निश्चिय किया था, उसे भी आनन फानन में 2 नए संयंत्रों की स्थापना हेतु मंजूरी देनी पड़ी। आयातित कोयले पर निर्भर सयंत्र (तक़रीबन 5000 MW), जो की पिछले काफी समय से बंद पड़े थे उन्हें भी केंद्र सरकार को पुन: सेवा में लेना ही पड़ा। इसी तारतम्य में संघ का सुझाव है की मध्य प्रदेश पॉवर जनरेशन कंपनी लिमिटेड के तत्वाधान में नए सयंत्रो की स्थापना जल्द ही की जाये। 

सारणी ताप विद्युत गृह में 660 MW की दो इकाइयों की स्थापना: जनरेशन कंपनी द्वारा पूर्व में स्थापित 5 x 62.5 MW के रिटायरमेंट के बाद उनके स्थान पर एक 660  मेगावाट की स्थापना हेतु प्रयास किये जा रहे है किन्तु ऊर्जा की पूर्वानुमानित मांग, अन्य पुरानी इकाइयों के संभावित रिटायरमेंट एवं सयंत्र स्थापना हेतु उपलब्ध संसाधनों के दृष्टिगत संघ का सुझाव है कि सारणी ताप विधुत गृह  में 1 x 660 MW के बजाय 2 x 660 MW सयंत्र की स्थापना हेतु यथा शीघ्र मंजूरी दी जावे।

अमरकंटक ताप विद्युत गृह में 660 MW इकाई की स्थापना हेतु प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की जाये: ऊर्जा विभाग एवं उत्पादन कंपनी के प्रबंधन के प्रयासों उपरान्त राज्य शासन द्वारा हाल ही में चचाई में एक इकाई की स्थापना जॉइंट-वेंचर कंपनी के माध्यम से करने हेतु सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान की गयी है, इसी क्रम में आग्रह है की उक्त इकाई राज्य उत्पादन कंपनी के पूर्ण स्वामित्व के अंतर्गत, स्थापना हेतु प्रशासनिक स्वीकृति यथा शीघ्र प्रदान की जाये, जिससे की कथित इकाई जल्दी ही धरातल पर आ सके।

संजय गाँधी थर्मल पावर स्टेशन में नवीन 02 x 660 मेगावाट की स्थापना: भविष्य में बीरसिंहपुर में ऊर्जा विस्तार की आपार सम्भावना है। कोल बेल्ट से नजदीकी, पानी की उपलब्धता होने के कारण यहाँ पर नवीन इकाई की स्थापना श्रेष्ठ परिणाम देने वाली सिद्ध होंगी । अतः अनुरोध हैं की बीरसिंहपुर में नवीन इकाई की स्थापना हेतु भी शीघ्र विचार किया जावे।

अक्षय ऊर्जा में भागीदारी: आज के समय में भारत अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में उत्रोत्तर रूप से प्रगति कर रहा है, ऊर्जा एक सामरिक महत्व का क्षेत्र एवं लोककल्याण से सीधा जुड़े होने के कारण ऊर्जा क्षेत्र के हर आयाम में सभी प्रदेशों को कम से कम 50 % भागीदारी सार्वजनिक उपक्रम की होना आवश्यक है। इसी क्रम में संघ का सुझाव है कि केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट में प्रस्तावित जल विद्युत सयंत्र दौधन बांध 60 MW एवं 18 MW। बीना काम्प्लेक्स  2x11MW एवं 2×5 MW। उल्लेखनीय है की बाणसागर परियोजना में भी जल विद्युत सयंत्रो का संचालन जनरेशन कंपनी के जिम्मे है, मध्य प्रदेश पॉवर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड का जल विद्युत सयंत्र संचालन का वृहद् अनुभव के दृष्टिगत उपरोक्त प्रस्तावित जल सयंत्र का संचालन जनरेशन कंपनी को दिया जाना उचित होगा।

• सागर एवं छतरपर जिले में लगभग 1 हजार 500 मेगावॉट क्षमता का सौर उर्जा पार्क परियोजना स्थापित करने की मंशा राज्य शासन के बजट में वित्त मंत्री द्वारा व्यक्त की गयी है। संघ का अनुरोध है की दोनों परियोजनाओं में पॉवर जनरेशन कंपनी की भागीदारी राज्य हित में होगी।

• संजय गाँधी ताप विद्युत गृह की इकाई क्रमांक 1 से 4 का आयु विस्तार: इकाई क्रमांक 1 से 4 की स्थापना को 20 से 25 वर्ष का लम्बा समय हो चुका है, इस कालावधि में प्रचलित तकनीक में काफी उन्नति हुई है, यह इकाईया अपनी रूपांकन आयु पूर्ण करने को है, अतः अनुरोध है की इन सयंत्रो का नवीनीकरण इनकी आयु वृधि हेतु विस्तार से विचार उपरांत व्यापक रूपरेखा बनाने एवं राज्य शासन से आर्थिक मदद प्राप्त करने की सहमति प्रदान की जाये, ताकि कार्य शीघ्र प्रारम्भ किये जा सकें। उक्त कार्य से राज्य को इन इकाइयों से कम लागत में लम्बी अवधि के लिए बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की जा सकती है।

अभियंता संघ के महासचिव विकास शुक्ला ने कहा कि उपरोक्त परियोजनाओं के क्रियान्यवन से राज्य में निश्चित ही बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर सृजन होंगे, क्षेत्र का आर्थिक विकास होगा, भविष्य में जनमानस को सतत व सस्ती बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकेगी, प्रदेश में औद्योगिक विकास की गति तीव्र होगी एवं उद्योग धंधो में बाहरी निवेश होगा व् इसके परिणाम स्वरुप राज्य की राजस्व उगाही में भी वृधि होगी।

उन्होंने कहा कि अभियंता संघ ये विश्वास दिलाता है की नई परियोजनाओं की जवाबदारी प्राप्त होने पर राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी के अभियंताओं एवं कर्मचारियों में भी अपने भविष्य को लेकर निश्चिन्तता आएगी व एक नवीन उर्जा का संचार होगा एवं वे आपके विश्वास की कसौटी पर खरा उतरेंगे।