विद्युत कंपनियों के निजीकरण से महंगी हो जाएगी बिजली, विद्युत संगठनों ने किया विरोध प्रदर्शन

मध्य प्रदेश की सभी विद्युत कंपनियों के सभी विद्युत संगठनों द्वारा केंद्र सरकार द्वारा विद्युत वितरण कंपनियों का निजीकरण करने हेतु स्टैंडर्ड बिड डॉक्यूमेंट जारी कर निजीकरण करने की योजना का विरोध करने हेतु मध्य प्रदेश विद्युत निजीकरण विरोधी संयुक्त मोर्चा का गठन किया गया है।

केंद्र सरकार द्वारा पूरे देश की वितरण कंपनियों के निजीकरण एवं उत्तरप्रदेश मैं निजीकरण के विरोध में शांतिपूर्ण आंदोलन पर दमनकारी नीतियां अपनाने के विरोध में संयुक्त मोर्चा द्वारा सोमवार 5 अक्टूबर को निजीकरण का विरोध करने एवं उत्तर प्रदेश कर्मचारी संयुक्त समिति के समर्थन में मध्यप्रदेश में काली पट्टी लगाकर प्रधानमंत्री के नाम जबलपुर में प्रबंध संचालक, मध्य प्रदेश पावर मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड, भोपाल में प्रबंध संचालक, मध्य प्रदेश मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, इंदौर में प्रबंध संचालक, मध्य प्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड एवं सभी जिला मुख्यालय में कलेक्टर को ज्ञापन देकर एवं साथ सभी जिला, वृत एवं पावर हाउस मुख्यालयों पर गेट मीटिंग कर विरोध प्रदर्शन किया गया।

मप्र में वितरण कंपनियों के निजीकरण से आम उपभोक्ताओं की बिजली मंहगी होने के साथ-साथ अधिकारियों एवं कर्मचारियों का भविष्य अंधकार मय होगा। भविष्य में सभी की बिजली 8 से 10 रू. की मिलेगी जिससे गरीबों को बिजली खरीदना मुश्किल हो जायेगा।

एक ओर सरकार निजीकरण की बातें करती है, वहीं दूसरी ओर विद्युत कंपनियों को स्वतंत्र रूप से कार्य नहीं करने देती है एवं सभी परियोजनायें शासन के नुमाइंदे एवं निजी घरानों को ऊपर उठाने के लिये बनाई जाती है, जिससे आप उपभोक्ताओं को कोई फायदा नहीं होता है।

मीटराइजेशन में उच्च स्तर पर भारी भ्रष्टाचार है, जबकि अभियंताओं द्वारा दिये गये सुझावों पर कोई ध्यान नही दिया जाता है। यदि अभियंताओं द्वारा दिये गये सुझावों पर कोई ध्यान दिया जाता है एवं यदि अभियंताओं के साथ मिलकर विद्युत व्यवस्था में सुधार पाये जाते है तो निश्चित ही कम खर्चे में विद्युत व्यवस्था संभव हो सकेगी। इसके लिये शासन को अभियंताओं एवं कर्मचारियों से चर्चा करनी चाहिये एवं निजीकरण पर पूर्ण विराम लगाना चाहिये।

संयुक्त मोर्चा ने कहा है कि विद्युत वितरण कंपनियों के निजीकरण के प्रस्ताव को तत्काल रद्द किया जाये अन्यथा की स्थिति में संयुक्त मोर्चा उपभोक्ता हित एवं कर्मचारी हितों में कठोर निर्णय लेने में भी पीछे नहीं हटेगा एवं कभी भी कार्य बहिष्कार का निर्णय लिया जा सकता है।