एमपी के पेंशनरों का डीए नहीं बढ़ने से उठ रहे सवाल, क्या पेंशनरों को अपना वोटर नहीं मान रही सरकार

मध्य प्रदेश सरकार द्वारा राज्य के सरकारी कर्मचारियों को 42 प्रतिशत महंगाई भत्ता दिए जाने की घोषणा के बाद से ही राज्य के लाखों पेंशनर भी मुख्यमंत्री को ओर बड़ी आस से टकटकी लगाए देख रहे हैं, कि जल्द ही मुख्यमंत्री उनके लिए भी महंगाई राहत बढ़ाए जाने की घोषणा करेंगे, लेकिन फिलहाल ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है।

मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि प्रदेश के मुख्यमंत्री के द्वारा राज्य कर्मचारियों को 1 जुलाई 2023 से 4 प्रतिशत महंगाई भत्ता दिये जाने की घोषणा की गई है। घोषणा अनुसार राज्य कर्मचारियों को 1 जुलाई 2023 से मंहगाई भत्ता 38 प्रतिशत से बढ़कर 42 प्रतिशत हो जावेगा। वहीं राज्य के पेंशनर एवं पारिवारिक पेंशनरों को आज भी 33 प्रतिशत ही मंहगाई भत्ता प्राप्त हो रहा है, जो राज्य कर्मचारियों से 9 प्रतिशत कम है।

संघ ने कहा कि मंहगाई की मार दोनों स्तर के लोगों पर समान रूप से असर डालती है फिर भी शासन द्वारा पेंशनर की उपेक्षा किया जाना समझ से परे है? क्या राज्य शासन राज्य पेंशनरों को चुनावी वर्ष में अपना वोटर नहीं मान रही ऐसा प्रतीत होता है, विगत कई वर्षो से पेंशनर एवं कर्मचारियों के बीच असमानता लगातार देखी जा रही है। जिससे प्रदेश के लाखों पेंशनरों एवं पारिवारिक पेंशनरों में भारी निराशा एवं आक्रोश व्याप्त है।

संघ के योगेन्द्र दुबे, राम दुबे, मुन्ना यादव, अरविन्द जैन लुक्का, विमल मिश्रा, शैलेन्द्र राजपूत, प्रहलाद उपाध्याय, जवाहर केवट, दिनेश मिश्रा, एनपी. निगम, एसके बांदिल, जीपी राय, आरके सोनी, नन्दू चंसोरिया, एनके श्रीवास्तव, केएल श्रीवास्तव, सलीम खान, अशोक दुबे, सुरेश पटैल, मंसूर अंसारी बीएसपी गौर, एके अवस्थी, केजी मिश्रा द्वय, विनोद देवपुरिया, राकेश सेंगर, ओपी तिवारी, बालकृष्ण पाण्डे, कृपाल झारिया, मनोज खन्ना आदि ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से मांग की है कि राज्य के कर्मचारियों के समान पेंशनरों को भी मंहगाई भत्ता केन्द्र के द्वारा घोषित तिथियों के अनुसार एरियर्स सहित दिया जावे। अन्यथा राज्य पेंशनर धरना प्रदर्शन आन्दोलन हेतु वाघ्या होंगें। पेंशनरों का यह आक्रोश सरकार को मंहगा पड सकता है।