बिजली कंपनी के एमडी के आदेश की घोर अवहेलना, अधिकारियों पर कार्यवाही की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा प्रबंधन

एक ओर बिजली कंपनी के प्रबंध संचालक संविदा कार्मिकों के हित में निर्णय लेते हुए संविदा कार्मिकों के अनुबंध के नवीनीकरण में संविदा नीति और नियमों का पालन किए जाने का आदेश देते हैं, वहीं दूसरी ओर जमीनी अधिकारी एमडी के आदेश की घोर अवहेलना करते हुए अपने पुराने ढर्रे पर अडिग हैं और संविदा कार्मिकों के अनुबंध का नवीनीकरण तीन से चार महीने तक रोक कर रखे हुए हैं।

अनुबंध अवधि समाप्त होने के पश्चात् एवं नवीन अनुबंध की स्वीकृति के बीच लंबा अंतराल रखे जाने से जहां संविदा कार्मिक मानसिक तनाव में रहते हैं, वहीं जमीनी अधिकारी इस दौरान उनसे दबाव बनाकर जोखिमपूर्ण कार्य भी कराते हैं, अगर इस बीच कोई अनहोनी हो गई तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? शायद इसका जवाब किसी के पास नहीं है।

इससे साफ जाहिर हो रहा है कि कंपनी प्रबंधन द्वारा प्रबंध संचालक के आदेश की घोर अवहेलना की जा रही है और आला अधिकारी प्रबंध संचालक के आदेश की अवहेलना करने वाले अधिकारियों पर कार्यवाही करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं, इतना ही नहीं आला अधिकारी, एमडी के आदेश के परिपालन में सख्ती भी नहीं कर पा रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी की सीजीएम-एचआर नीता राठौर ने 4 अप्रैल 2023 को कंपनी के प्रबंध संचालक द्वारा आदेशित सर्कुलर में कहा है कि कंपनी द्वारा संविदा कार्मिकों के लिए संविदा सेवा (अनुबंध तथा सेवा की शर्तें) संशोधित नियम, 2018 लागू किया गया है। नियम की कडिका 4.4 के परिपालन में कंपनी द्वारा पूर्व से अनुबंधित संविदा कार्मिकों के अनुबंध समाप्ति पर नवीन अनुबंध किया जाता है। नियम की कंडिका 6.1 (ब) के अनुसार एक अनुबंध से दूसरे अनुबंध के मध्य न्यूनतम तीन कार्य दिवस का अंतराल रखे जाने का प्रावधान है।

साथ ही संज्ञान में आया है कि संविदा कार्मिको की अनुबंध अवधि समाप्त होने के पश्चात् एवं नवीन अनुबंध की स्वीकृति के पूर्व उनसे कार्य कराया जा रहा है, जो कि न्यायोचित नहीं है। इस अवधि में संविदा कार्मिक से कार्य कराये जाने पर यदि कोई दुर्घटना होती है अथवा कोई विधिक त्रुटि होती है, तो उत्तरदायित्व का निर्धारण किये जाने में कठिनाई होगी। अतः आपके अधीनस्थ सभी कार्यालयों को निर्देशित किया जाये कि संविदा कार्मिकों की अनुबंध अवधि समाप्त होने के पश्चात् एवं नवीन अनुबंध की स्वीकृति के पूर्व उनसे कंपनी कार्य न कराया जाये।

आदेश में यह भी कहा गया है कि संविदा कार्मिकों के अधिकांश प्रकरणों में नवीन अनुबंध की जानकारी अनुबंध समाप्ति के पश्चात् इस कार्यालय को प्रेषित की जा रही है। कतिपय कार्यालयों द्वारा अनुबंध समाप्ति के 1 माह से अधिक समय के उपरांत जानकारी प्रेषित की जा रही है। ऐसी स्थिति में संविदा कार्मिकों के नवीन अनुबंध की कार्यवाही में विलंब होता है अतः आपके अधीनस्थ कार्यरत संविदा कार्मिकों के नवीन अनुबंध की जानकारी समय पर इस कार्यालय को प्रेषित करना सुनिश्चित करें जिससे कि संविदा सेवा (अनुबंध तथा सेवा की शर्तें) संशोधित नियम, 2018 की कंडिका 6.1 (ब) के अनुसार न्यूनतम तीन कार्य दिवस उपरांत नवीन अनुबंध की कार्यवाही सुनिश्चित की जा सके।

वहीं संविदा अनुबंध के नवीनीकरण को लेकर जमीनी अधिकारियों के द्वारा संविदा कार्मिकों की जानकारी एचआर विभाग को भेजे जाने में की जा रही हीलाहवाली पर जब मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने शक्ति भवन स्थित कंपनी के मुख्यालय के एचआर विभाग से आरटीआई के माध्यम से जानकारी चाही तो, उनके आवेदन को ये कहकर निराकृत कर दिया कि आवेदन के माध्यम से वांछित जानकारी के संबंध में संबंधित अनुभाग अवगत कराए अनुसार जानकारी इस कार्यालय में संधारित नहीं है। उपरोक्तानुसार आपका आवेदन निराकृत किया जाता है।

हालांकि प्रथम अपीलीय अधिकारी द्वारा आवेदन निराकृत किए जाने के बाद हरेंद्र श्रीवास्तव ने कहा है कि वे अब द्वितीय अपीलीय अधिकारी के समक्ष आवेदन प्रस्तुत करेंगे। उन्होंने कहा कि संविदा नीति और नियमों का पालन किया जाना चाहिए, लेकिन यहां तो अधिकारी प्रबंध संचालक के आदेश की भी अनदेखी कर रहे हैं।