हर इंसान का अपना कर्तव्य: शिखा सिंह

हर इंसान का अपना कर्तव्य,
समझे जो अपना धर्म,
सो ही निभावे कर्तव्य…

पथ ये कठिन है, पर विचलित नही…
स्वयं का निर्णय है, कोई बोझ नही,
सम्हाल सको तो कर्म अपना है,
यही वास्तविक धर्म अपना है…

विमुख ना हो तुम इस अवसर से…
मिलता नहीं वेवजह किसी को…
मिला है, तुम्हें तो सम्हालो इसे..
अड़िग रहो ना भटको पथ से…

कर्तव्य को समझो ना बस तुम शब्द..
जीवन निर्वाह का है, ये अवसर,
स्वागत करो तुम हरदम इसका…
रूप, महत्व समझो इसका..

पिता का कर्तव्य हो या माता का,
भाई का हो या बहन का,
पत्नी का हो या पति का,
पुत्र का हो या पुत्री का,
देखो तुम सबका है, कर्तव्य,
दादा दादी को हो या नाना नानी का,
कर्मचारी का हो या मालिक का,
डॉक्टर का हो या इंजीनियर का,
सैनिक का हो या देशवासी का..
हर कदम पे है, सबका अपना कर्तव्य,
नर का हो या नारी का..।

शिखा सिंह ‘प्रज्ञा’
लखनऊ, उत्तरप्रदेश

परिचय:
नाम- शिखा सिंह
साहित्यिक नाम- प्रज्ञा
पता- लखनऊ, उत्तरप्रदेश
पिन कोड- 226028
प्रकाशित रचना- मुस्कुराएं हम इंसान है, दिल-ए-जार, तुम कहो आज मैं सुनूंगा, नारी एक अनकही कहानी, मेरी अभिलाषा, हमारी भाषा हिन्दी आदि।
प्रकाशित पुस्तक- ऊर्विल काव्य संग्रह, Mon Amour
जन्मतिथि- 6 अक्टूबर 1997
ईमेल- [email protected]