सांस्कृतिक मूल्यों को सहेजने की कोशिश में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ: स्नेहा किरण

जैसा की यह सर्वविदित है की किसी भी राष्ट्र के लिये सबसे महत्वपूर्ण होती है उसकी सांस्कृतिक विरासत। क्योंकि राष्ट्र का निर्माण सांस्कृतिक मूल्यो से ही होता है, राष्ट्र की पराजय का मुख्य कारण सांस्कृतिक मूल्यों का ह्रास ही होता है, अन्ततः वही राष्ट्र संगठित रह सकता है, जिसके सांस्कृतिक मूल्य बने रहे है।

किसी भी देशवासी के लिए सांस्कृतिक मूल्यों का निर्धारण उसकी भारतीयता और देशभक्ति का पैमाना ही होता है। हर युवा को खुद सांस्कृतिक मूल्यों को अपने जीवन में उतारना चाहिए और स्वच्छ भारत-अखंड भारत की परिकल्पना के साथ कला व भारतीय संस्कृति के सूत्र में अन्य युवाओं को भी पिरोने चाहिए।

अपने अपने गाँव, प्रखण्ड और जिले में विभिन्न रचनात्मक गतिविधियों को जारी रखना आज हर युवा की प्राथमिकताओं में शुमार होना चाहिए। जिसका एकमात्र उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा युवाओं को अपने सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति जागरूक करना है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए उन्हें अन्य क्षेत्रों में भी जाकर युवाओं के बीच भारतीय संस्कृति के प्रति आकर्षण और जागरूकता के भाव को बढ़ाना है।

सांस्कृतिक मूल्यों के लिए समर्पित और कला व संस्कृति से युवाओं को जोड़ने की जिम्मेदारी को पूरा करना मेरा लक्ष्य है। मैंने अपने विद्यार्थी जीवन से ही लगभग 18 साल पहले ही विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनात्मक साहित्यिक आलेखों के माध्यम से एक जागरूकता संकल्प अभियान शुरू कर दिया था। पर जब संघ जिला संयोजिका (राष्ट्रवादी धारा) की भूमिका में इसके विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों में मेरी हिस्सेदारी शुरू हुई तो मन में एक ही विचार था कि अभी भी अधिक से अधिक युवा को सांस्कृतिक मूल्यों का अधिकार मिलना ही चाहिए।

उद्देश्य यह भी था कि इन युवाओं में कला व संस्कृति को लेकर काफी प्रतिभाएं छिपी हैं। यदि उन्हें सही मंच मिले तो उनका भी भविष्य संभल जाए और वह खुद भी आगे जाकर सांस्कृतिक मूल्यों का अधिकार बाकी युवाओं को दिलाते हुए भारतीय संस्कृति से समाज को जोड़ने और जागृत करने का काम कर सकें। इसी भावना के वशीभूत संघ की राष्ट्रवादी धारा से जुड़कर केवल बिहार ही नहीं अपितु देश के अन्य क्षेत्रों के युवाओं को भी अपनी कला व संस्कृति के प्रति जगरूक करने की भी मेरी एक छोटी सी कोशिश है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राष्ट्रवादी धारा से जुड़ने का मेरा मूल मकसद देश भर के युवाओं को अपने सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति जागरूक करना ही है। बात चाहे आध्यात्मिक क्षेत्र की हो या फिर हमारी कला संस्कृति की। संघ ने अब तक करोड़ो युवाओं को पाश्चात्य माहौल से निकालकर हमारी स्वर्णिम भारतीय संस्कृति से जोड़ा है। वृक्षारोपण, योग, प्राणायाम, ध्यान, विभिन्न यौगिक क्रियाएं, गंगा प्रदूषण मुक्ति आदि के लिए संघ के भागीरथी प्रयासों की जितनी भी प्रशंसा की जाए वो कम ही होगी।
भारतीय संस्कृति की रक्षा हर युवा की पहली प्राथमिकता होनी चाहिएनऔर उसके प्रचार -प्रसार के लिए उनका जीवन समर्पित भी रहना चाहिए।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की वैचारिक बुनियाद एकदम सीधी है। इसके संस्थापक डॉ केशव बलिराम हेडगेवार और गुरुजी माधव सदाशिव गोलवलकर और कुछ हद तक विनायक दामोदर सावरकर मानते थे कि भारतीय संस्कृति, दर्शन और विज्ञान दुनिया में सबसे श्रेष्ठ है। गोलवलकर और हेडगेवार बताते थे कि कैसे पश्चिमी ताकतों के अधीन लोग दबे-कुचले और तकलीफों में घिरे हैं।

अभी हाल ही में मेरे द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राष्ट्रवादी-धारा की स्वयं-सेविका मातृशक्ति संघ जिला संयोजिका अररिया के तौर पर द्वारा एक दिवसीय बौद्धिक शिविर में जिला के स्वयं सेवकों को बौद्धिक व संगठन का सूक्ष्म परिचय कराया गया। इस एक दिवसीय बौद्धिक शिविर में सामाजिक दूरी का पूर्ण: पालन करते हुऐ जिले के 46 स्वयंसेवको ने शिविर मे भाग लिया।

इस शिविर में कोरोना विश्व महामारी से बचाव हेतू सजगता, कोरोना के कारण बिहार प्रदेश मे चलाये जा रहे सेवा सहायता के कार्यो पर स्वयंसेवको से राय-विचार व संगठन रिपोर्ट तथा संघ बौद्धिक के माध्यम से संगठन की नैतिक प्रतिबद्धता व उसके संक्षिप्त परिचय व सेवा प्रशिक्षण आदि कई अन्य राष्ट्रीय हितों से संबंधित विषयों पर बौद्धिक सत्र के दौरान प्रकाश डाला गया। स्मरणीय है कि प्रदेश में कोरोना वायरस के संक्रमण से आज तक, प्रदेश मे यह संघ कीै पहली जिला बैठक है।

मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की जन्म स्थली अयोध्या में श्रीराम जन्म भूमि पर भव्य मंदिर निर्माण के भूमि पूजन कार्यक्रम के लिए मैं राष्ट्रधर्म, राष्ट्रप्रेम और राष्ट्रहित के प्रहरियों को शिलान्यास के इस महासनातन पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएँ देती हूँ।

मैं उन तमाम सरफरोश शहीदो व राम भक्तों को भी सादर नमन करती हूँ, जिन्होंने विगत 500 वर्षो से चले आ रहे इस धर्म-रक्षा व धर्म-युद्ध के आंदोलन मे अपने प्राणो को धर्म और संस्कृति के नाम पर सहर्ष न्योछावर कर दिया। धर्म और संस्कृति को लेकर यह संसार का सबसे लंबा संघर्ष रहा है।

श्रीमती स्नेहा किरण
संघ जिला संयोजिका अररिया,
प्रसार विभाग राष्ट्रवादी धारा, बिहार,