हाथी चले बाज़ार: मुकेश चौरसिया

हाथी ने फिर से घोषणा कर दी है कि वह अमुक दिन, अमुक समय बाज़ार से होकर गुजरेगा। पार्टी की प्रेस विज्ञप्ति में उसके कार्यक्रम की घोषणा विस्तार से कर दी गई है। यों तो यह हाथी का नियमित कार्यक्रम है, लेकिन इस खबर ने कुत्तों की नींद उड़ा दी है।

कुत्ते यों तो बमुश्किल एक राय होते हैं, लेकिन जब बात हाथी की आती है तो उनमें अभूतपूर्व एकता देखने को मिलती है। पार्टी अध्यक्ष इस एकता से बहुत प्रसन्न हैं, कभी कभी तो उनको लगता है अगर हाथी बाज़ार से न निकले तो पार्टी की एकता खतरे में पड़ जाए, और पार्टी के कुत्ते एक दूसरे को नोंच खाएं। इस एकता को बनाए रखने के लिए पार्टी अध्यक्ष को कितना कुछ करना पड़ता है।

अंदरूनी सूत्र बताते हैं कई बार पार्टी अध्यक्ष को हाथी से गुप्त मुलाकात करके हाथी से बाज़ार से निकलने का अनुरोध करना पड़ा है, ताकि पार्टी में एकता बनी रहे। इसलिए ऊपरी तौर पर हाथी की यात्रा का विरोध करने वाले, हाथी की यात्रा का मन ही मन स्वागत करते हैं। यही वो समय होता है जब उन्हें अपनी स्वयंभू सत्ता में पकड़ बढ़ाने का मौका मिलता है।

इस बार भी विरोधी पार्टी की ओर से प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दी गई है, पार्टी के वफादार कुत्तों (पढें कार्यकर्ताओं) से अपील की गई है कि वे अपने अपने क्षेत्र में हाथी की यात्रा का विरोध करें। हाथी की इस यात्रा को सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने वाली, कुत्ता विरोधी बताएं। इसे देश के खजाने का दुरुपयोग सिद्ध करें।

शाम के टीवी शो में कुत्तों ने अपनी कुकुरहाओ जोर शोर से शुरू कर दी है। विभिन्न चैनलों ने हाथी की यात्रा पर स्पेशल कवरेज दिखानी शुरू कर दी है। एक न्यूज़ चैनल जहाँ हाथी की इस यात्रा को ऐतिहासिक बता रहा है, वहीं दूसरा न्यूज़ चैनल पुराने आंकड़े लेकर यह परिचर्चा कर रहा है कि हाथी की पिछली यात्रा में किस क्षेत्र में कितने कुत्ते मरे। उनके परिजनों को न तो इंसाफ मिला न ही उनको सरकारी नौकरी, जैसा कि सरकार ने उन्हें आश्वासन दिया था। तीसरे न्यूज़ चैनल का रुख हमेशा की तरह संतुलित रहा है।

कुकुर सेवा पार्टी के अध्यक्ष ने पार्टी मुख्यालय में, हाथी की यात्रा को लेकर कुत्तों की पंचायत ‘भों भों’ भवन में बुलाई। हर बाप की तरह उनका इरादा भी अपने पुत्र श्वान कुमार को पार्टी में लांच करना था। श्वान कुमार हाल ही में विदेश से पढ़ाई पूरी करने के बाद लौटे थे, एक विदेशी कुतिया के साथ उनके अफेयर मिडिया की सुर्खियों में थे। इस पंचायत में बड़ी संख्या में देसी विदेशी नस्ल के कुत्तों ने शिरकत की।

सभा में भोंकते हुए पार्टी अध्यक्ष ने हाथी की यात्रा की तुलना यमराज की यात्रा से की। हाथी को देश और लोकतंत्र के लिए खतरा बताया। उनके पुत्र ने अपने विदेश के अनुभवों के आधार पर बताया कि किस प्रकार हाथी की सत्ता को उखाड़ फेंका जा सकता है। श्वान कुमार का भाषण तुरंत ही मीडिया में छा गया, दूसरे ही दिन उनको युवा नेता बताया गया। कुतियों के बीच उनका क्रेज़ बढ़ गया।

यह तय किया गया कि हाथी की यात्रा वाले दिन श्वान कुमार खुद हाथी की यात्रा का विरोध करेंगे। दूर दराज के गाँव नगरों से कुत्तों को विरोध के लिए बुलाया गया। वे अपनी पार्टी का बैनर लेकर अपने नेता के सम्मान में नारे लगाते हुए राजधानी पहुँच गए। कुत्तों की भौंक से आसमान गूँज उठा। टीवी में सीधा प्रसारण शुरू हो गया। हाथी अपने कार्यक्रम के अनुसार निकल पड़ा। कुत्तों ने अपने कार्यक्रम के अनुसार भौंकना शुरू कर दिया। कुछ उत्साही कुत्ते हाथी के पैरों तले कुचल कर मर गए, अनेक घायल हो गए।

बहरहाल हाथी की यात्रा समाप्त हो गई। हाथी वापस चला गया। इसके बाद टीवी चैनलों में कुछ दिनों तक इस यात्रा विश्लेषण चलता रहा। एक न्यूज़ चैनल ने इसे ऐतिहासिक बताया, जबकि दूसरे न्यूज़ चैनल ने इसे जनविरोधी बताया, वहीं तीसरा न्यूज़ चैनल हमेशा की तरह संतुलित रहा।

विरोधी कुकुरसेवा पार्टी एक बार फिर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में सफल रही सबसे बड़ी बात ये हुई कि पार्टी अध्यक्ष के पुत्र श्वान कुमार का राजनीति में पदार्पण हो गया।

(नोट- इस पोस्ट का वर्तमान राजनीति से किसी प्रकार का संबंध नहीं है)

मुकेश चौरसिया
गणेश कॉलोनी, केवलारी,
सिवनी, मध्य प्रदेश