मातृ दिवस- गरिमा राकेश गौतम

ऐसे में माँ तेरी याद आयी
माँ मुझे तेरी बहुत याद आयी
क्यों आयी पता नही
पर आँख भर आयी
याद आया मुझे माँ
तेरा बाल बनाना
अलग-अलग लिबास में
तेरा मुझे सजाना
काला टीका लगा
वो नजर को उतारना
अब खुद से खुद को संवार लेती हूँ
संग आँखों को आंसुओ से सजाती हूँ
ऐसे में माँ मैं तुझे बहुत याद करती हूँ
सब्जियों में मेरा
ना नुकूर करना
पहले गुस्सा होना
फिर प्यार से दही शक्कर ले आना
अब मैं खुद से खुद को
दही शक्कर ले आती हूँ
संग आँखों को आँसुओ से सजाती हूँ
ऐसे में माँ मैं तुझे बहुत याद करती हूँ
पटाखों की आवाज पर
मेरा डर जाना
गोद में ले प्यार से
डर को दूर भगाना
अब पटाखों के डर से जब चिल्लाती हूँ
खुद ही खुद को समेट लेती हूँ
संग आँखो को आँसुओ से सजाती हूँ
ऐसे में माँ मैं तुझे बहुत याद करती हूँ

-गरिमा राकेश गौतम
कोटा, राजस्थान