मैं अकिंचन
वो विश्व धरा
मैं चंचल
वो शांत पवन
मैं रिक्त
वो प्रेम भरा
मैं पतझड़
वो ऋतू बसंत
मैं पंक्ति
वो कृति
मैं दोहा
वो चौपाई
मैं अनभिज्ञ
वो सर्वज्ञ
मैं विकर्षण
वो आकर्षण
मैं निःशब्द
वो शब्दावली
मैं प्रलय
वो सृष्टि
मैं रोला
वो सोरठा
मैं कुंठित
वो अपार
मैं गद्य
वो पद्यांश
मैं स्पृहा
वो तृप्ति
मैं वाचाल
वो प्रज्ञ
मैं तुच्छ
वो महान
मैं तिक्त
वो मधुर
मैं कृष्ण
वो शुक्ल
मैं लघु
वो गुरु
मैं धूप
वो छांह
मैं म्लान
वो प्रफुल्ल
मैं संक्षिप्त
वो विस्तृत
मैं साँझ
वो सबेरा
-डॉ भवानी प्रधान
रायपुर, छत्तीसगढ़