बंजर धरती पर जब हरियाली लहराये।
उदास सूना-सूना दिल भी खिल-खिल जाये।
उमड़-उमड़ के बादल गरजने लग जाये।
जब सावन का महीना झूम-झूम कर आये।।
कलियाँ फूल बने उनपर भँवरे मंडरायें।
रिमझिम बरखा में मोर नाचे, पपीहा गायें।
प्रकृति को देखकर हर्षित मन मुस्काये।
जब सावन का महीना झूम-झूम कर आये।।
शिव की आराधना में अनुष्ठान करे जाये।
भक्त हर-हर महादेव के जयकारे लगाये।
कावड़ियाँ शिवलिंग का अभिषेक कराये।
जब सावन का महीना झूम-झूम कर आये।।
वृक्षों की शाखाओं पर झूले पड़-पड़ जाये।
स्त्रियां चूड़ी पहने हाथों में मेहंदी लगवायें।
भाइयों की कलाई पर बहने राखी सजाये।
जब सावन का महीना झूम-झूम कर आये।।
सोनल ओमर
कानपुर, उत्तर प्रदेश