देख रही हो छुप-छुपकर क्यों,
दिल का दर्द बढ़ा कर तुम
महका दो ये गुलशन मेरा,
जीवन पुष्प खिलाकर तुम
चांद सी सुंदर एक प्यारी सूरत,
मन को लुभाया करती है
रातों की तन्हाई में वह,
मुझे सताया करती है
अहसासों को छू लेने दो,
प्रेम का फर्ज निभाकर तुम
महका दो ये गुलशन मेरा,
जीवन पुष्प खिलाकर तुम
सपनों में तुम आती न क्यों,
जब प्यार की खुशबू मिलती है
तस्वीर देखकर लगता है ये,
कली गुलाब की खिलती है
दूर करो तन्हाई मेरी,
मन का मीत मिलाकर तुम
महका दो ये गुलशन मेरा,
जीवन पुष्प खिलाकर तुम
अब तो तुम्हारी आंखों में,
एक नूर प्यार का बहता है
मिले किनारा मंजिल का अब,
घायल दिल ये कहता है
तोड़ न देना प्यार का रिश्ता,
पतझड़ में मुरझा कर तुम
महका दो ये गुलशन मेरा,
जीवन पुष्प खिलाकर तुम
रामसेवक वर्मा
विवेकानंद नगर,
पुखरायां, कानपुर देहात
उत्तर प्रदेश