नीला ग्रह, ब्रह्मांड में केवल एक,
ऋषियों ने जिसे कर्म लोक कहा था कभी
मात्र एक ग्रह जहां आत्मा
कर सकती है कुछ अच्छा
कमा सकती है पुण्य परोपकार से
देवता भी तरसते हैं जहां जन्म लेने के लिए
सहनशीलता का देती एक उदाहरण,
मगर सहिष्णुता की भी होती एक सीमा है,
कहता है कौन पृथ्वी चोट नहीं खाती?
बहुत दुह रहे हम निकलने लगा अब तो खून भी
छोड़ नहीं रहे कोई कसर नुकसान पहुंचाने में,
शायद परख रहे है इसकी सहन शक्ति
जियो और जीने दो के साथ रहना गए भूल
तुले हुए हैं सब कुछ इसी पीढ़ी में खत्म करने
लेकिन धरती माँ है और
माँ को आता है सबक सिखाना भी
बहुत दे रही थी निरंतर चेतावनी भी
गर्मी ,लगातार सूखा, बाढ़ औ चक्रवात से
नजरअंदाज कर रहे सारी ही चेतावनी,
नहीं सीखा कोई सबक अब तक हमने,
कर लिया लगता है धरती ने भी फैसला
देनी पड़ेगी ही अब कड़ी से कड़ी सजा
प्रकृति के हथियार भी है बहुत विनाशक
कोविड-19 लाया था साल बीस-बीस
फिर भी तो ना सुधरे है हम तो
इक्कीस भी कह रहा कम कहां मैं बीस से
शुरू में ही दिया झटका एक जलजले से
टूटा है अभी तो बस एक ग्लेशियर
आगे शेष है अभी तो पूरा साल
नहीं सुधरे अगर अब भी हम तो
होगा आगे ‘राव’ इस से भी बुरा हाल
राव शिवराज पाल सिंह
इनायती,जयपुर, राजस्थान
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