द्रवित करती नित्य दुर्घटना मुझे
कभी ज्वालामुखी सा फटना मुझे
ब्रज में रहना है नियम अनुकूल ही
नाम राधा सर्वदा रटना मुझे
बलि का बकरा हूँ, मनाऊँ क्या कुशल
जानता हूँ एक दिन कटना मुझे
ज्ञात है अवमानना का दंड भी
नाप दोगे, मुंबई-पटना मुझे
पूर्ण निष्ठा का मिला परिणाम है
उच्च पद से पड़ गया हटना मुझे
पालने हैं बाल-बच्चे, बन श्रमिक
काम में, बेगार में खटना मुझे
स्वार्थी कालीन जैसे बिछ रहे
लग रहा अच्छा नहीं, सटना मुझे
झूठ-भ्रष्टाचार से झगड़ा लिया
मोर्चों पर पड़ेगा डटना मुझे
गौरीशंकर वैश्य ‘विनम्र’
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