मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ (शिक्षक अध्यापक प्रकोष्ठ) जबलपुर द्वारा जारी विज्ञप्ति में बताया गया कि प्रदेश के जिलों में हाई स्कूल वाली शालाओं में प्राचार्य के हजारों पद रिक्त पड़े हैं। नियमित प्राचार्य की पदस्थापना न होने के कारण शालाओं का शैक्षणिक स्तर में गिरावट हा रही है। विभाग में वर्ष 1998 से पदस्थ उच्च माध्यमिक शिक्षक, जिन्हें 23 वर्ष का शैक्षणिक अनुभव हैं। इसके बाद भी उनकी योग्यता व अनुभव को दृष्टिगत रखते हुए आज तक उन्हें हाई स्कूल का प्राचार्य नहीं बनाया गया।
प्रदेश में सैंकड़ों हाई एवं हायर सेकेण्ड्री स्कूल में प्राचार्यों के पद खाली पड़े हैं, जो प्रभारियों के भरोसे चल रहे हैं। इसके बाद भी शासन द्वारा गंभीरता न दिखाते हुए इन खाली पड़े पदों पर उच्च माध्यमिक शिक्षक को प्राचार्य नहीं बनाया जा रहा, जिसका असर हाई एवं हायर सकेण्ड्री स्कूलों के परीक्षा परिणामों पर दिख रहा है। उच्च माध्यमिक शिक्षक को प्राचार्य बनाये जाने से शाला के शैक्षणिक स्तर व गुणवत्ता के साथ साथ प्रशासनिक कसावट भी शाला में देखने को मिलेगी। यह समक्ष से परे है कि सरकार द्वारा ऐसा कदम क्यों नहीं उठाया जा रहा है।
संघ के मुकेश सिंह, मनीष चौबे, योगेन्द्र मिश्रा, नितिन अग्रवाल, गगन चौबे, श्याम नारायण तिवारी, मनीष लोहिया, राकेश दुबे, प्रणव साहू, गणेश उपाध्याय, राकेश पाण्डेय, सुदेश पाण्डेय, मनीष शुक्ला, विजय कोष्टी, धीरेन्द्र सोनी, मो. तारिक, विष्णु पाण्डेय, सोनल दुबे, देवदत्त शुक्ला, अभिषेक मिश्रा, अब्दुल्ला चिस्ती, संतोष तिवारी, महेश कोरी, विनय नामदेव, पवन ताम्रकार, प्रियांशु शुक्ला, आशीष जैन, ब्रजेश गोस्वामी आदि ने मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री एवं आयुक्त लोक शिक्षण मप्र भोपाल को ईमेल भेजकर मांग की है कि प्रदेश में खाली पड़े हाई स्कूल प्राचार्य के पदों पर उच्च माध्यमिक शिक्षक की पदस्थापना की जाये, ताकि शालाओं के शैक्षणिक स्तर में सुधार आ सके।