मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने जारी विज्ञप्ति में बताया की मध्य प्रदेश के लिपिक संवर्ग कर्मचारियों की वेतन विसंगति की मांग विगत कई वर्षों से लंबित है, सरकारों द्वारा कमेटी का झुनझुना दिखाकर हमेशा उन्हें ठगा गया हैं। अविभाजित मध्यप्रदेश जिसके तहत छत्तीसगढ़ राज्य भी आता था, तब से लिपिक संवर्ग वेतन विसंगति की लड़ाई लड़ रहा है।
संघ ने बताया कि लिपिकों के संघर्ष पर छत्तीसगढ़ राज्य ने तो लिपिकों की वेतन विसंगति दूर कर दी, किन्तु मप्र सरकार कर्मचारी कल्याण समिति का गठन कर वेतन विसंगति के मामले को अटकाने का रास्ता खोज कर लिपिकों के साथ वादा खिलाफी कर रही है। जिससे प्रदेश के लिपिकों में भारी आक्रोश व्याप्त है।
संघ के अटल उपाध्याय, मिर्जा मंसूर बेग, यूएस करौसिया, मनोज राय, विनोद पोद्दार, सुनील सेठी, सुनील कोरी, नरेन्द्र शुक्ला, रूद्र परिहार, अमित नामदेव, सुधीर खरे, ब्रजेश ठाकुर, नितिन श्रृंगी, राकेश सुनमोरिया, सुरेन्द्र श्रीवास्तव, राजेश गुर्जर, आशीष सक्सेना, तपन मोदी, राजेन्द्र श्रीवास्तव, धीरज कुरील, मिलन्द बरकडे, एआई मंसूरी, मनीष शुक्ला, मनीष लोहिया, मनोज सेन, श्यामनारायण तिवारी, नितिन शर्मा, मो तारिक, धीरेन्द्र सोनी, महेश कोरी, संतोष तिवारी, प्रियांशु शुक्ला आदि ने मुख्यमंत्री मप्र शासन को ईमेल के माध्यम से पत्र भेजकर मांग की है कि रमेशचन्द्र शर्मा कमेटी की अनुशंसायें शीघ्र लागू कर वर्षों से चली आ रही लिपिकों की वेतन विसंगति दूर की जाए।