समय बहुत तेज़ी से बदल रहा है, उसी रफ्तार से हमारा देश भी बदल रहा है। हम सभी जानते हैं कि समयानुरूप परिवर्तन ही देश के विकास का परिचायक है। हर क्षेत्र में बदलाव के साथ साथ हमारे शिक्षा तंत्र में भी विशेष बदलाव हुआ है। हमारी बुनियादी शिक्षा नीति में आज की जरूरत के अनुसार बदलाव किया गया है। क्योंकि हम सभी जानते हैं कि हमारे आज के नौनिहाल ही कल के नागरिक हैं, कर्णधार हैं। यह कथन एक दम सत्य है कि डिजिटल युग में पल रहे नवजात शिशु, जिनके खेल खिलौने एडवांस टेक्नोलॉजी वाले स्मार्ट मोबाइल, स्मार्ट कार, स्मार्ट गेम के आइकन से शुरू होते हैं। देश का भविष्य ऐसे टेक्निकल हाथों में होगा, तो निश्चित ही शिक्षा तंत्र में बेहतरीन शिक्षण प्रणाली का उपयोग आवश्यक है।
शिक्षा किसी भी राष्ट्र के विकास का आधार होती है, साथ ही शिक्षा ही मानव संसाधन विकास की जड़ है। जो देश की सामाजिक, आर्थिक बनावट को संतुलित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। न्यायपूर्ण समाज के विकास और राष्ट्रीय विकास को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा एक मूलभूत आवश्यकता है। स्वतंत्रत भारत में आयी शिक्षा नीतियां मुख्य रूप से शिक्षा के ज्ञानात्मक रुप पर केंद्रित थी। चाहे वह 1968 में दौलत सिंह कोठारी की अध्यक्षता में प्रथम शिक्षा नीति हो या 1986 में आयी दूसरी शिक्षा नीति।
अब 34 वर्षों के बाद आयी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 जो कि 5 जुलाई 2021 को लागू की गई है। 5+3+3+4 की रुपरेखा पर आधारित है । नयी राष्ट्रीय नीति में छात्रों की बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान तथा भाषा शिक्षण पर विशेष बल दिया गया है। यह योजना चरणबद्ध और समयबद्ध है, जिसमे आकलन आधारित सीखने की प्रक्रिया सम्मिलित है। बालक अपनी बात को स्पष्ट रूप से अभिव्यक्त कर सके, उसके लिए वर्क बुक होना आवश्यक किया गया है और शिक्षकों द्वारा उचित मार्गदर्शन हेतु संदर्शिका को भी आवश्यक माना गया है।
बुनियाद का शाब्दिक अर्थ है नींव। कहा गया है कि जिस इमारत की बुनियाद जितनी मजबूत होगी वह इमारत उतना ही मजबूत होगी। बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान 3 से 9 आयु्वर्ग के बच्चों में बुनियादी साक्षरता एवं संख्यात्मक ज्ञान विकसित करने पर आधारित है। बुनियादी शिक्षा से ही बच्चे के भविष्य में सीखने की एक मजबूत नींव तैयार होती है। NEP 2020 में प्रत्येक छात्र को एफ एल एन से जोड़ने को एक चुनौती के रूप में लिया गया है।
कक्षा-3 के अंत तक बच्चे को पढ़ने, लिखने एवं गणितीय समझ की क्षमता प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया गया है। बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सन् 2026-27 तक की समय-सीमा तय की गई है। इसके सफल क्रियान्वयन के लिए भारत सरकार ने ‘बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान (FLN )’ नाम से एक मिशन प्रारंभ किया है जो कि बुनियादी स्तर पर बच्चों में अपेक्षित साक्षरता और संख्यात्मक कौशल विकसित करने के लिए महत्वपूर्ण दिशा निर्देश देगा।
बुनियादी साक्षरता का अर्थ है मौखिक भाषा विकास, डिकोडिंग (ध्वनि और आकार में तालमेल) प्रवाह,पाठबोधन एवं लेखन है। बुनियादी संख्या ज्ञान का अर्थ है संख्याबोध, आकार और स्थानिक संबंध,नाप, संधारण आदि है। विद्यालयी शिक्षा में गणित एवं भाषा महत्वपूर्ण एवं अनिवार्य विषय है। देश में असंख्य बच्चे हैं जिनके घर में साक्षरता एवं गणितीय समझ का माहौल नहीं है जिसके कारण बच्चे में गणितीय समझ एवं तार्किकता का विकास नहीं हो पाता है।
प्राथमिक स्तर पर बच्चों में शुरुआती गणित कौशल विकसित करने के लिए हमें संख्या बोध कराना, संख्याओं को शब्दों, चित्रों, प्रतीकों के माध्यम से दर्शाना, स्थानिक बोध विकसित करने की योग्यता विकसित करना, संख्याओं, आकृतियों और चित्रों से पैटर्न बनाना और सोचने व पहचानने की क्षमता के द्वारा समस्या-समाधान की तकनीक विकसित करने की योग्यता विकसित करना है।
बच्चा जब विद्यालय आता है तो वह अपनी एक भाषा अर्थात् अपनी एक मातृभाषा सीखकर आता है। भाषा शिक्षण के लिए उपयुक्त वातावरण के साथ बच्चों को कहानी, कविता पढ़कर सुनाना, रोल-प्ले करना, दैनिक जीवन में घटने वाली घटनाओं से परिचित कराना, आईसीटी आदि का उपयोग कर बच्चों के भाषा ज्ञान को समृद्ध किया जा सकता है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (2020) का मुख्य उद्देश्य है कि बच्चों को समझ आधारित शिक्षा दी जाए। बुनियादी शिक्षा में आ रही समस्याओं को अनिवार्य रूप से दूर कर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देकर शिक्षा के स्तर का उन्नयन किया जा सके। रटन्त प्रणाली के स्थान पर व्यावहारिक अनुप्रयोग पर बल दिया जाए, जिससे राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके और प्रत्येक बच्चे को बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान में निपुण बनाया जा सके।
भारत सरकार ने नेशनल इनीशिएटिव फॉर प्रोफिशिएंसी इन रीडिंग विद अंडरस्टैंडिंग एवं न्यूमेरेसी नाम कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। विद्यार्थी अपनी प्रारंभिक शिक्षा में भाषा एवं गणित में अपनी आंख, कान एवं शारीरिक भाषा को शिक्षा में संलग्न करेगा। पर्यावरण की बेसिक पहचान घरेलू पेड़ पौधों की पहचान होगी तभी विकसित होगा। बुनियादी साक्षरता का तात्पर्य भाषा को सुनकर लिखकर व बोलकर, प्रभावी पाठन से है। संख्या ज्ञान की बुनियादी समझ को जानने की आवश्यकता है इन्हें संख्या, माप और आकार संबंधी तर्क को समझने के योग्य बनाना और उन्हें उनकी ज्ञान और गणित की पहेलियों के माध्यम से समस्याओं को हल करने, खेल की गतिविधियों की समझ विकसित करने मैं आत्मनिर्भर बनाना है।
साक्षरता अपने आप में कोई शिक्षा नहीं है। साक्षरता शिक्षा का अंत या शुरुआत भी नहीं है। शिक्षा से तात्पर्य बच्चे और मनुष्य के शरीर, मन और आत्मा में सर्वोत्तम का सर्वांगीण चित्रण करना है। इस तरह से शिक्षा की नींव को मजबूत करने का भरसक और सफल प्रयास किया जा रहा है। निश्चित ही देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान रहेगा।
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