आत्महत्या…हत्या- भरत कनफ़

अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ने आत्महत्या कर ली है। कारण बताया गया है कि काफी समय से वह डिप्रेसन में चल रहे थे। जिस कारण से उन्होंने आत्महत्या का कदम उठाया है। क्या केवल कहानी इतनी ही है? एक ऐसा युवा जो इंजीनियरिंग में भी टॉप पर रहा हो और अपनी फील्ड से अलग जाकर फ़िल्म जगत में खुद की मेहनत के बल पर पहचान बनाई हो क्या ऐसा युवा डिप्रेसन में आकर आत्महत्या कर सकता है? इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
भारतीय बॉलीवुड का इतिहास उठाकर देखेंगे तो सबकुछ साफ होता जायेगा। फ़िल्म जगत में बॉलीवुड माफियाओं का कब्जा रहा है। माफिया इस रूप में कि यह वर्चस्ववादी लोग किसी बाहरी को अंदर आने नहीं देते हैं। अपने वर्चस्व के बल पर यह तथाकथित माफिया अपने खेमे के लोगों को ही पनपने का अवसर देते हैं। भाई-भतीजावाद और परिवारवाद के लिए हमेशा बॉलीवुड चर्चाओं के केन्द्र में रहा है। ऐसे माफियाओं के बीच अपने टेलेंट के बल पर कैसे युवा टिक सकता था।
सुशांत की बढ़ती लोकप्रियता के कारण तथाकथित बड़े अभिनेताओं को लगातार खतरा महसूस हो रहा था। बॉलीवुड माफिया यह कैसे होने देते इसलिए धीरे-धीरे सुशांत को दरकिनार किया गया। पिछले छ: महीनों में उनके हाथों से सात फ़िल्में वापस ले ली गई। जो उन्होंने साइन की थी। सुशांत को बॉलीवुड पार्टियों में बुलाया ही नहीं जाता, अगर बुलाया भी जाता तो उनकी हंसी जैसा माहौल बनाया जाता था। एक तरह से लगातार उन्हें उपेक्षित किया जाता रहा था। सुशांत सिंह राजपूत ने आत्महत्या के बाद ऐसे कई बातें सुनने को मिल रही हैं।
सुशांत के ऊपर किसी गॉडफादर का हाथ भी नहीं थाम उनके पास केवल टेलेंट था। फ़िल्म जगत को देख लीजिए न ढंग का अभिनय है न ही फ़िल्म जगत में आने की संघर्ष की कोई कहानी फिर भी ऐसे लोग लगातार गॉडफादर और चापलूसी मीडिया के कारण आगे बढ़ते जा रहे हैं। केवल नाम के बल पर उन्नति कर रहे हैं।
सुशांत जैसे मल्टी टेलेंटेड लोग आत्महत्या कर रहे हैं। कारण केवल फ़िल्म जगत ही नहीं बल्कि वह दर्शक भी हैं। जो लगातार बॉलीवुड माफियाओं के पक्ष में रहते हैं। उनकी फिल्मों को देखकर उन्नति तक पहुंचाते हैं। यह लोगों को तय करना है यह हत्या है या आत्महत्या? आखिर कब तक ऐसे ही टेलेंट लोगों के साथ होता रहेगा ?

-भरत कनफ़