
ज्योतिष केसरी
रूप चौदस, जिसे नरक चतुर्दशी, काली चौदस या छोटी दिवाली के नाम से भी जाना जाता है, दीपावली पर्व से एक दिन पहले मनाई जाती है। यह पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आता है और धार्मिक, आध्यात्मिक तथा स्वास्थ्य की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
आइये जानते हैं क्यों मनाते हैं रूप चौदस?
पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में नरकासुर नामक असुर ने अपनी शक्ति और अहंकार के बल पर तीनों लोकों में उत्पात मचा रखा था। उसने देवताओं, ऋषियों और 16,000 देवकन्याओं को बंदी बना लिया था। उसके अत्याचारों से पृथ्वी और स्वर्ग दोनों त्रस्त हो उठे।
भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा के सहयोग से नरकासुर का वध किया और उन सभी बंदिनी स्त्रियों को मुक्त कराया। यह घटना कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के दिन घटित हुई थी। इस विजय के उपलक्ष्य में उस दिन लोगों ने दीप जलाकर आनंद मनाया। तभी से यह दिन नरक चतुर्दशी या रूप चौदस के रूप में मनाया जाने लगा।
धार्मिक और सांकेतिक महत्व
रूप चौदस का अर्थ है- शरीर और आत्मा का शुद्धिकरण। इस दिन प्रातःकाल तेल लगाकर स्नान करने और पवित्रता बनाए रखने की परंपरा है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन स्नान करने से नरक के पाप नष्ट होते हैं और व्यक्ति रूप, सौंदर्य व दीर्घायु प्राप्त करता है। यह दिन केवल बाहरी सुंदरता के लिए नहीं, बल्कि आंतरिक रूप-सौंदर्य के लिए भी समर्पित है। इसीलिए इसे “रूप चौदस” कहा जाता है।
पूजा-विधि और परंपराएँ
सुबह जल्दी उठकर तिल या सरसों के तेल से शरीर पर अभ्यंग स्नान करना शुभ माना जाता है। इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण, देवी सत्यभामा और यमराज की पूजा की जाती है। शाम को घर के बाहर दीप जलाया जाता है, जिसे “यम दीप” कहा जाता है। यह दीप मृत्यु के देवता यमराज को समर्पित होता है, जिससे अकाल मृत्यु का भय दूर होता है। महिलाएँ इस दिन रूप-सौंदर्य बढ़ाने के लिए श्रृंगार करती हैं, नए वस्त्र धारण करती हैं और प्रसाद के रूप में मिठाइयाँ बनाती हैं।
आध्यात्मिक अर्थ
नरकासुर का वध केवल एक राक्षस का नाश नहीं था, बल्कि यह अहंकार, क्रोध, और अज्ञान जैसी आंतरिक बुराइयों के विनाश का प्रतीक है। दीपक का प्रकाश यह संदेश देता है कि जैसे अंधकार मिटाने के लिए दीप जलाना आवश्यक है, वैसे ही जीवन में ज्ञान और सदाचार का प्रकाश फैलाना भी उतना ही आवश्यक है। अतः हमें इस दिन केवल दीपक ही नहीं, बल्कि अपने हृदय के दीप को भी प्रज्वलित करना चाहिए ताकि जीवन में सच्चाई और अच्छाई बनी रहे।
रूप चौदस की सही तिथि एवं शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार इस वर्ष रूप चौदस अथवा नरक चतुर्दशी रविवार 19 अक्टूबर 2025 को मनाई जाएगी। इस दिन चतुर्दशी तिथि दोपहर 1:51 बजे से लेकर अगले दिन 20 अक्टूबर दोपहर 3:44 बजे तक रहेगी। उदयातिथि के अनुसार तेल अभ्यांगन स्नान सोमवार 20 अक्टूबर को प्रातः 5 से 6:14 बजे तक के मुहूर्त काल में किया जायेगा।












