सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: कहा- बिना आंकड़े के प्रमोशन में रिजर्वेशन नहीं दिया जा सकता

देश के उच्चतम न्यायालय ने आज शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को पदोन्नति में आरक्षण की शर्त को कम करने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि बिना आंकड़े के नौकरियों में प्रमोशन में रिजर्वेशन नहीं दिया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रमोशन में रिजर्वेशन देने से पहले राज्य सरकारों को आंकड़ों के जरिए ये साबित करना होगा कि एससी और एसटी का प्रतिनिधित्व कम है। समीक्षा अवधि केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित की जानी चाहिए। इससे पहले भी शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह एससी और एसटी को पदोन्नति में आरक्षण देने के अपने फैसले को फिर से नहीं खोलेगा, क्योंकि यह राज्यों को तय करना है कि वे इसे कैसे लागू करते हैं।

न्यायाधीश एल. नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने विषय में अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल, अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल बलबीर सिंह और विभिन्न राज्यों की ओर से पेश हुए अन्य वरिष्ठ वकीलों सहित सभी पक्षों को सुना है। पीठ में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति बी आर गवई भी शामिल हैं। पीठ ने 26 अक्टूबर 2021 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

फैसला सुरक्षित रखते हुए कोर्ट ने कहा था कि अदालत सिर्फ इस मुद्दे पर फैसला करेगा कि आरक्षण अनुपात पर्याप्त प्रतिनिधित्व के आधार पर होना चाहिए या नहीं। केंद्र सरकार ने पीठ को बताया था कि यह सत्य है कि देश की आजादी के 75 साल बाद भी एससी और एसटी समुदाय के लोगों को अगड़े वर्गों के समान मेधा के स्तर पर नहीं लाया गया है।