किस मिट्टी के बने- प्रताप नारायण मिश्र

जग नंगा है याकि स्वयं ही नग्न हुए हम।
जाने किस मंगल मुहूर्त की लग्न हुए हम?

चारों ओर प्रलोभन की आँधी का बल है।
जिधर देखिए उधर विसंगतियों का दल है।
इस दल-बल के साथ अनय बढ़ रहा अगाड़ी,
नख से शिख तक लिप्साओं में मग्न हुए हम।

ताने मारे दाँत निपोरे गलियारों ने।
लूटी जीवन की उजियारी अँधियारों ने।
हाथ समय के पड़कर पापड़ रहे बेलते,
फिरभी इनके साथ नहीं संलग्न हुए हम।

टूट-टूटकर जुड़े और जुड़-जुड़कर टूटे।
किन्तु हौसले पस्त न अपने छक्के छूटे।
प्रतिद्वन्द्वी कोसते रहे पी-पीकर पानी,
किस मिट्टी के बने न अब तक भग्न हुए हम?

-प्रतापनारायण मिश्र
बाराबंकी

जीवनवृत्त-
कवि- प्रतापनारायण मिश्र
माता-पिता- स्व. रामरानी मिश्र एवं स्व. बालकिशन मिश्र
पत्नी- प्रेमवती मिश्र
शिक्षा- एमए हिन्दी अवध विवि फैजाबाद (उप्र)
विद्यावाचस्पति एवं विद्यासागर विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ, भागलपुर (विहार)
व्यवसाय- निरीक्षक/रेलवे सुरक्षा बल/पूर्वोत्तर रेलवे (सेवानिवृत्त)
प्रकाशन-
1. कौन बने शिव? (काव्यसंग्रह) वर्ष 1995
2. योगी नन्दिग्राम का (खण्डकाव्य) वर्ष 2001
3. महिमा भारतभूमि की (काव्यसंग्रह) वर्ष 2002
4. अँजुरी भर छाँव (श्रृंगारिक गीत-ग़ज़ले) वर्ष 2003
5. ऋषिवर दधीचि (खण्डकाव्य) वर्ष 2010
6. वीरव्रती हनुमान (गीतिकाव्य) वर्ष 2010
7. किस मिट्टी के बने ? (गीतसंग्रह) वर्ष 2012
8. एक और सपना (गीतसंग्रह) वर्ष 2013
9. लोकायन (महाकाव्य) वर्ष 2014
10. व्योम के उस पार (गीतसंग्रह) वर्ष 2015
11. महाप्रयाण (खण्डकाव्य) वर्ष 2015
12. हर रात की होती सुबह (गीतसंग्रह) वर्ष 2016
13. शान्ता (खण्डकाव्य) वर्ष 2016
14. चेतना के स्वर (गीतसंग्रह) वर्ष 2017
15. कृषक देवता (काव्यसंग्रह) वर्ष 2018
16. कुण्डलिया शतक (कुण्डलियासंग्रह) वर्ष 2018
17. शत्रुघ्न विजय (खण्डकाव्य) वर्ष 2019
18. सोनपरी (बालगीतसंग्रह) वर्ष 2019
प्रकाशनाधीन-
दशमेश (खण्डकाव्य) शीघ्र प्रकाश्य तथा एक दर्ज़न से अधिक कृतियाँ प्रकाशनाधीन।
शोध-
हिन्दी पूर्वांचल विवि जौनपुर में उपेक्षित माण्डवी विषयक शोध में योगीनन्दिग्राम को (प्रकाशित होने से पूर्व ही) सम्मिलित किया जा चुका है।
पुरस्कार-सम्मान-
अब तक 30 पुरस्कार-सम्मान देश के विभिन्न क्षेत्रों के शैक्षिक, सामाजिक, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थानों द्वारा प्रदत्त जिसमें साहित्य शिरोमणि, नरवाना (जीन्द) हरियाणा (2012), भारत गौरव सारस्वत सम्मान, वाड्मय पीठ साहित्यिक संस्था, कोलकाता (2015), पं सुमित्रानंदन पंत स्मृति हिन्दी सेवी अंतर्राष्ट्रीय साहित्य सम्मान, मुरादाबाद (उप्र) भारतवर्ष (2016), आनंद मिश्र सर्जना पुरस्कार, उप्र हिन्दी संस्थान लखनऊ (2016), संगम साहित्य सुमन, गोरखपुर (2018), साहित्य भूषण सम्मान, उप्र हिन्दी संस्थान लखनऊ (2018) आदि प्रमुख हैं।
विशेष-
अनेक काव्यसंग्रहों, पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित तथा दूरदर्शन एवं आकाशवाणी से रचना प्रसारण।
सम्पर्क-
प्रेम प्रताप निकेत, प्रज्ञापुरम्, लखपेड़ाबाग, निकट-रामसेवक यादव स्मारक इण्टर कॉलेज, बाराबंकी-225001 (उप्र)
ई-मेल-
[email protected]
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+919450282472