खूब हँसाती है माँ,
हर पल साथ निभाती है माँ
जब भी ही जाए आँखें नम,
तब सीने से लगाती है माँ
धूप में छाया बन जाती है माँ,
हर तकलीफों से हमे बचाती है माँ
खुद का ग़म भूूला कर,
हम तक सुख पहुंचाती है माँ
त्याग की मूरत है माँ,
सब की ज़रूरत है माँ
खुशियां भी गले लगाती है,
जब मुस्कुराती है माँ
माँ को कभी न रोने देना,
खुद से दूर न होने देना
हर ग़म, तकलीफ़ें उनसे दूर रहे,
रब से दिन रात यही दुआ करना
माँ शब्द ही खुद में पूर्ण है,
जिससे सृष्टि भी सम्पूर्ण है
जिस घर में रहती खुशी से माँ है,
स्वयं परमात्मा विराजमान वहाँ है
-प्रीति कुमारी