रग रग में उबाल भरा
हिन्द का उद्घोष है,
हम हैं मानवता के पुजारी
जोश नहीं खामोश है
निकलती म्यानों से तलवारें
चमकती हैं बिजलियां,
दुश्मनों के पांव थर-थर्राते हैं
जब निकलती सिंहनियां
एक के बदले हजारों मारेंगे
यही हमारा उद्घोष है,
सब्र का मर्यादा न लांघो
जोश नहीं खामोश है
शिक्षा अहिंसा सद्भाव प्रेम का
सदा जीवन ज्योति जलायी हमने,
विश्व के भूमंडल पर
अखण्ड ध्वज लहराई हमने
राम-कृष्ण, बुद्ध स्वामी गांधी की धरती
वसुधैव कुटुंबकम् का उद्घोष है,
इंसान हो इंसान बनों
जोश नहीं खामोश है
-त्रिवेणी कुशवाहा ‘त्रिवेणी’