(चित्र आधारित रचना)
पनघट से पानी लेने चली थी,
गागर अपनी भरने चली थी
पर चाल हमारी बरसती थी,
घबराहट भी काफी थी
सुदूर थार,
करके हर अड़चन पार
तेरे पास आऊँ सजना,
छलकाने अमृत घट दिल अँगना
मन में गूँजे प्यार की सरगम,
उमड़ घुमड़ रहे दिल के बादल
गोरी तेरा इठलाता आँचल,
खनके चूड़ी, थिरके पायल
यह पागलपन है,
कैसा खुमार है?
बरसती मोहब्बत,
प्यार ही प्यार है
-अंशु प्रिया अग्रवाल