अतुल नहीं मैं सागर हूँ
भावनाओं से भरी इक गागर हूँ
जज़्बात शायरी लिखता हूँ
मैं अतुल हाथरसी शायर हूँ
कल्पनाओं की दुनिया में रहता हूँ
कविताओं में अपनी बात कहता हूँ
इस भीड़ भरी दुनिया में
तन्हा तन्हा सा रहता हूँ
बेज़ार दिल अक़्सर पूछ लेता हूँ
ज़िन्दगी का सबब क्यों कुछ न कहता हूँ
सन्नाटे का साया जब अचानक पास आ जाता है
आँसुओं का समंदर मेरी पलकें भिगो जाता है
जब उम्मीदें सारी दम तोड़ने लगती हैं
तब खुशियाँ भी नज़रंदाज़ करने लगती हैं
हाँ अतुल नहीं मैं सागर हूँ
भावनाओं से भरी इक गागर हूँ
-अतुल पाठक
हाथरस, उत्तर प्रदेश
संपर्क-7253099710