कभी धूप तो कभी छांव है ज़िन्दगी
कभी मीठी सी तो कभी खट्टी है ज़िन्दगी
कभी मजबूरी तो कभी खुशियों का खजाना है ज़िन्दगी
मंजिल हमारी कहां है कुछ पता नहीं
फिर भी तेज दौड़ने वाले धावक सी ज़िन्दगी
बचपन, जवानी, बुढ़ापा तीन पड़ाव है ज़िन्दगी
फिर श्मशान में खत्म होती सभी की ज़िन्दगी
किसी तूफान से गुजरने का नाम है ज़िन्दगी
गिर कर हर बार सम्हलने का नाम है ज़िन्दगी
-ममता रथ
रायपुर, छत्तीसगढ़