लिखना चाहती हूँ मैं, पर कलम उदास बहुत है
शब्द मेरे पास नहीं है, मगर एहसास बहुत है
छोड़ा न दामन कभी गम आता ही गया
आयेगी खुशी मेरे पास कभी, ये विश्वास बहुत है
नागिन सी काली रातों में, सिमटती गई हूँ मैं
होगी सुबह कभी न कभी, ये आस बहुत है
कल किसने देखा, कल आये न आये
लेकिन जीने के लिए, आज श्वास बहुत है
छोड़ दूं मैं तुम्हें चाहना, ये मुमकिन तो नहीं
नजरों से दूर मगर फिर भी, दिल के पास बहुत है
-अन्नपूर्णा जवाहर देवांगन
महासमुंद