नूतन किरणें भर, खुशियों की प्याली लेकर आई है।
एक नया संदेशा बनके नववर्ष की, नई सुबह आई है।
आशा की लौ से उज्ज्वल ह्रदय और विश्वास है हमें,
कितनी ही काली हो रात, सवेरे को कहाँ रोक पाई है।।
हर तरफ करने उजियारा, सूरज ने चमक बिखराई है।
भोर का स्वागत करने चिड़िया, पेड़ों पर चहकाई है।
सकारात्मकता से नववर्ष की नई चुनौतियों के लिए
आलस्य छोड़ जागेगी नई चेतना, बजी शुभ शहनाई है।।
हल्की किरणों पे देखो मध्यम-मध्यम चली पुरवाई है।
आशाओं के गीत सुनाने, निकल पड़ी तरुणाई है।
सृजन पंथ पर दृढ़ दीप्त सी, स्वर्णिम सांसों की लहरें
अवनी अंबर आलोकित करने, प्रेम भाव भर लाई हैं।।
सोनल ओमर
कानपुर, उत्तर प्रदेश