रब को भी न छोड़ा,
उनको भी हमने बाँट दिया,
जोड़ कर हाथ मंदिर में
उन्हें राम का नाम दिया
फैला कर हाथ मस्जिद में
उन्हें अल्लाह का नाम दिया
रब को भी तो हमने अब
अल्लाह-राम में बाँट दिया
और जो हुई खता इंसानो से
उसे धर्म का नाम दिया,
ये तो बताओ रब के प्यारो
ये कौन सा अच्छा हमने काम किया?
न हिन्दू-हिन्दू कर,न मुस्लिम-मुस्लिम कर
भला कैसे ये धर्म बड़ा बन जाता है,
ये बात तो याद कर ऐ इंसान
न राम तुझे मंदिर बुलाता है ,
न अल्लाह मुझे मस्जिद बुलाता है
और धर्म पर तो हुआ है ये अच्छा वार
हिन्दू इस पार, मुस्लिम उस पार,
मजहब को बेच डाला उन्होंने बीच बाज़ार
तुम ही बताओ! क्या
ऐसे होगी हमारी नईया पार?
करी प्रार्थना, करी दुआएं
इबादतें हमने पूरी कर ली,
पर जब साथ मिलकर हमे खड़ा होना था
तब हमने दिलों में ये दूरी कर ली
एक गुज़ारिश है आप सभी से दोस्तों
अब एक जुट होकर हमको लड़ना है ,
अपनों से रख कर दूरी हमें
अपनों के लिए ही लड़ना है
हम भी करेंगे राम से प्रार्थना
तुम भी करो खुदा से दुआ,
खुश होगा रब ये देखकर
मेरा इंसान साथ है खड़ा
थोड़ी रख लो पाबन्दी
थोड़ी गुनाहो पे शर्म कर लो,
हो जायेगा सब ठीक ऐ इंसान
जहाँ रखा सब्र इतना
थोड़ा और सब्र रख लो
बस एक बात ये याद कर लो
एक जुट होकर हमको लड़ना है,
ये वक्त बहते पानी सा झरना है
भगवान नहीं इंसान हमें बनना है
-तबस्सुम सलमानी
मलोया, चण्डीगढ़