नैन की झील में- डॉ उमेश कुमार राठी

रूह से दूर रखना विषय वासना
खोजना बाद में प्यार संभावना
नैन की झील में देख लेना प्रिये
ज्वार उद्गार सत्कार सद्भावना

चाँदनी आसमाँ पर बिखरती रही
चाँद लेकिन भटकता रहा रात भर
हर अमावस उदासी लगी बेबसी
दर्द बनके पिघलती रही रात भर
रंग बदरंग है खेल बेमेल है
चाँद की आपदा चाँद से पूछना
खोजना बाद में प्यार संभावना

ओस पड़ती रही पात के गात पर
तरु बदन को भिगोती रही रात भर
जम गयीं घास पर मोतियों की लड़ी
लघु तुहिन यूँ लरजती रही रात भर
उर ज़मी सह चुकी ताप संताप को
मन करे तो कभी ओस में भीगना
खोजना बाद में प्यार संभावना

जिंदगी भर करी प्यार की बंदगी
तीरगी क्यों खटकती अभी रात भर
चंद बूँदें महज चाहिये कंठ को
तश्नगी जब मचलती कहीं रात भर
वंदना आरजू में निहाँ हो गयी
आरती से जगी मधुमयी कामना
खोजना बाद में प्यार संभावना

ढल गयी लालिमा सुरमयी शाम की
दीप बाती सुलगती रही रात भर
मीत तेरी कथा की व्यथा है पता
सेज पर क्या गुजरती अभी रात भर
अश्क़ छलकें उन्हें पोंछ लेना सनम
आँख में कीजिये स्वप्न की साधना
खोजना बाद में प्यार संभावना

-डॉ उमेश कुमार राठी