दोहे-जल के बिन कुछ भी नहीं: नवीन गौतम

जल के बिन कुछ भी नहीं, सुन ले ओ इंसान।
मत कर इसका अतिक्रमण, मत बन तू नादान।।

जल के बिन कुछ भी नहीं, जल से जीव जहान।
समझ लिया जिसने इसे, वो ही यहाँ महान।।

जल के बिन कुछ भी नहीं, कहते हैं सब लोग।
फिर क्यों व्यर्थ बहा रहे, व्यर्थ करें क्यों भोग।।

जल के बिन कुछ भी नहीं, यही उचित संदेश।
नहीं बचाया आज जल, रोज मिलेंगे क्लेश।।

नवीन गौतम