जय माता दी: समीर द्विवेदी

गूँज रहा माँ का जयकारा जय माता दी।।
सजा हुआ दरबार है प्यारा जय माता दी।।

कौन है तुमसा तारनहारा जय माता दी।
तुमसा मइया कौन सहारा जय माता दी।।

उसके बिगड़े काम बने हैं पल भर में माँ
जिसने तेरी ओर निहारा जय माता दी।।

उसकी झोली पल भर में माँ भर देती है
जिसने दर पे हाथ पसारा जय माता दी।।

तेरी पावन ज्योति मिटाए सब अँधियारा
साँचा है दरबार तुम्हारा जय माता दी।।

समीर द्विवेदी नितान्त
कन्नौज, उत्तर प्रदेश