जन्नत समझ उसे: समीर द्विवेदी

कहते हैं जिसको प्यार, इबादत समझ उसे
मिल जाए प्यार, रब की इनायत समझ उसे

नाकाम ही रहे तेरी कोशिश तमाम तो
है राय आकिलों की, तू किस्मत समझ उसे

अच्छा नहीं लगा मुझे, देना तुम्हें जवाब
जो हँस दिया हूँ मैं तो मुरव्वत समझ उसे

मत पूछ उसकी याद, सताती है किस कदर
हर लम्हा मेरे दिल पे मुसल्लत समझ उसे

कायम है तेरे सर पे अगर माँ का हाथ तो
खुश किस्मती है यार तू जन्नत समझ उसे

समीर द्विवेदी नितान्त
कन्नौज, उत्तर प्रदेश