नैना राह निहारत तेरी: डॉ निशा अग्रवाल

डॉ निशा अग्रवाल
जयपुर, राजस्थान

नैना राह निहारत तेरी
पग पग छाला पड़ा है मेरी
कब आओगे श्याम सलोने
ढूंढत फिरे राधिका तेरी

बहे नीर नैनन से मेरी
काजल मिटो आंख भई धौरी
मन चंचल ना चैन से सोए
सारी रतिया बतियाये चांद चकोरी

मन प्यासा है सांवरे तुम बिन
बादल बन कर तुम छा जाओ
झूम झूम के बरसो ऐसे
शीत लहर उर में कर जाओ

विरह प्रेम मन मेरा तरसे
अग्नि तपन सी ज्वाला भड़के
अमिय बूंद सा सावन लाकर
श्याम सलोने तुम बरसाओ