सुजाता प्रसाद
स्वतंत्रत रचनाकार,
शिक्षिका सनराइज एकेडमी,
नई दिल्ली, भारत
पहले भी यह पता था
आज भी यह सच है
जीवन एक रंगमंच है
जिसमें हम सभी अपना
अपना किरदार निभाते हैं।
हां निभाते तो हम सभी हैं
अपने अपने हिस्से का
जीवन चित्रण
और उसमें मौजूद
हर एक पात्र को।
पर इस दुनिया के असंख्य
चलचित्रों में अभिनीत
अनेक चरित्रों में
सबसे प्यारा और सच्चा किरदार
मां का होता है, ईश्वर स्वरुप।
मां की गरिमा, मां की महिमा
उसके किरदार के सरताज होते हैं
जिसमें शुद्धतम नगीने जड़े होते हैं
ममता, वात्सल्य, नि: स्वार्थ प्रेम
करुणा, त्याग, आशीर्वचनों से भरपूर।