कौन अकेले रहे यहाँ,
ये दुखदायी संसार है
मुझको जाना है वहीं,
जहाँ मेरा परिवार है
परिवार बिना ना खुशियाँ,
परिवार बिना ना आराम है
बहुत हो गयी भाग-दौड़,
ज़िंदगी हो गयी हराम है
लौट अब चलो वापस,
अपने परिवार के पास
वही है केवल अपना,
बाकी सब झूठी आस
– सोनल ओमर
कानपुर, उत्तर प्रदेश