जल, जीवन और हरियाली- अरुण कुमार

जल हो जंगल हरियाली हो
तब जीवन में खुशहाली हो
प्रकृति का संग रहे हरदम
तब क्यूं बोलो बदहाली हो?

तरु की छाया, निर्मल पानी
हो स्वच्छ हवा, उर्वर धानी
तन ढकने को मिल जाए वसन
हो स्वस्थ बदन, निर्मल मन हो

साधु का संग मिले हरदम
सत्संग, सफर, विश्राम मिले
आनंद, ज्ञान, अभाव नहीं
जीवन में तब आराम मिले

विचरित गौएं, पंक्षी कूजे
हो वृक्ष सघन ऊंचे ऊंचे
झरने झरते निर्मल अविरल
प्रकृति में ना हो कोई दखल

निर्भयता का माहौल बने
सब सुखी रहे, निरोग बने
फैले प्रकाश और सदाचार
ना कहीं अज्ञान अंधेरा हो

भाईचारा, करुणा फैले
आदर्श बुद्ध और राम बने
हो न्यायपूर्ण माहौल धरा
हरा भरा अभिराम बने

जब तक इन सारी चीजों का
न होगा संरक्षण सकुशल
मानवता होगी खतरे में
जीवन संकट में होगा प्रतिपल

आओ संरक्षित करे धरा
चहुंओर बनाए हरा भरा
मानव जीवों पर दया करे
तब स्वर्ग बनेगी वसुंधरा

-अरुण कुमार नोनहर
बिक्रम गंज, रोहतास
संपर्क- 7352168759