अम्मी की कोठी- कुमारी अर्चना

गाँव में फैली एक पुरानी कहावत है
कोठी जैसा माँगा तो
कोठी हो जाओगे
लकड़ी जैसा मांगोगें तो
पतले हो जाओगे!

फिर क्या था
अम्मी ने खुदा से
झटपट माँगी एक मन्नत
कोठी चढ़ाँऊगी
अगर बच्चे हुए मोटे
खुब खिलाया
घी पिलाया
फिर भी हम मोटे ना हुए
सोच में पड़ गई अम्मी
डॉक्टर से कहकर ताकतवाली
दवाई लिखवाई
हमने दो दिन में ही
चटचट कर देते
फिर बार बार पिलाती पिलाती
अम्मी थक गई
क्योंकि जितना हम खाते पीते
उससे ज्यादा की दौड़ लगाते
फिर एक दिन ऐसा आया
जब हम घर में ज्यादा देर
पढ़ने को बैठे
कोठी जैसे हो गए हम!

अम्मी तो खुश हो गई
हमको लेकर गई गाँव
वही मिट्टी की कोठी बनाई
और चढ़ाई
पर हम दु:खी हो गए
हमें भी अनाजों की कोठी जैसा
चर्बी रखने की वस्तु बना दिया
रात दिन यही सोचते
कैसे होगें हम पतले
डाईटिंग साईटिंग सब की
पर टोटके सारे हुए बेअसर
अम्मी ने कोठी जो मन्नत में माँगी था!

कुमारी अर्चना
पूर्णियाँ,बिहार