सुनो प्रियवर: प्रार्थना राय

सुनो प्रियवर जब तुम,
हमसे मिलने आना।

प्रेम की गठरी में,
विश्वास भर कर लाना।

प्रेम पोथी पर तुम ऐसा
नव निबन्ध लिखना।

हो अनुबंध तुम्हारा ऐसा,
चंदा की चांदनी जैसा।

बिछड़े ना कभी सूरज से,
उजाला, वैसा हो संबंध हमारा।

तुम बन जाना सांझ सांवरे,
मैं बन जाऊं रातरानी। 

मन वांझां तरी उड़े गगन में,
मैं तरणि तुम डोर बन जाना

गीत प्रीत की गाना तुम ऐसे ,
गोविंदा की बांसुरी जैसे। 

तुम बन जाना मेरे कान्हा,
मैं बन जाऊं तेरी राधा ।

गाओ जब तुम प्रेम राग को,
मैं झूमू नाचूं बन मतवारी।

नैनों में मधुर रस घोले,
मय छलके हौले हौले। 

मैं बन जाऊं साकी,
तुम बन जाना पीने वाला।

चंदन तन तेरा, प्रेम कांति से,
चमक उठेगी मेरी काया। 

सुनो प्रियवर मिलन की आस,
ना रह जाए आधी-आधी।

प्रार्थना राय 
देवरिया, उत्तर प्रदेश

काव्य- मन का पाखी: प्रार्थना राय