जब गहरी सांस लेकर
पूछते हो तुम कैसी हो
मन झुंझला उठता है
बड़े अंजान बनते हो
जैसे कुछ जानते ही नहीं
तो सुनो
कुछ बदला नहीं हैं
ना जगह बदली
ना हवा बदली
ना मैं बदली
और ना वे बदले
हां ये जरूर हुआ है,
मैंने अपना रास्ता बदल लिया
लोग तो यहां बहुत से हैं
एक चेहरे पे कई मुखौटे लगा रखे हैं
हमने भी अपने चेहरे पे एक मुखौटा लगा लिया है
कितनी उदासी छायी हो,
अपनी मुस्कुराहट बरकरार रखी है
और सुनो, तुम्हारा भी एहसान हैं हम पर
कभी मुस्कुराने की वजह हुआ करते थे
घबराओ नहीं किश्तों में वापस कर दूगीं
समय आने दो, तुम चुप क्यूँ हो
अब नहीं पूछोगे
तुम कैसी हो
प्रार्थना राय
देवरिया, उत्तर प्रदेश