ना वो समझ सके, ना हम: कालीचरण नाग

कौन कहता है यारों, दिलदार नहीं थे हम
सलीकेदार था वो, समझदार नहीं थे हम

हम भी दिखा देते मोहब्बत में जां कैसे देते है
वो क्या जाने वेवफा, इश्क के दर्द कैसे होते है
हमारा था बचपना, लूटते चले गये हम
ना वो समझ सके, ना हम

तनहाई है, बेबसी है, दर्दे-दिल को अब ये भा गया
कोई दुआ दे या ना दे, जीने का हुनर अब आ गया
दीवानगी के रंग में नाग रंगते चले गये हम
ना वो समझ सके, ना हम

दौलते-इश्क का अंधा, जब बेजुबान बन जाता है
झोपड़ी देखकर, वही महलों का मेहमान बन जाता है
ताज नहीं यारों, इश्क महल बना जाते हम
ना वो समझ सके, ना हम

कालीचरण नाग
कुड़ारी, सिवनी
मध्य प्रदेश