अब इंडिया नहीं भारत: विवेक रंजन श्रीवास्तव

विवेक रंजन श्रीवास्तव
भोपाल

संविधान में पहले ही का नाम भारत कहा गया है । किंतु जाने क्यों व्यवहार में देश को कोई हिंदुस्तान , तो कोई इंडिया भी कहता है। इस प्रवृत्ति को बदलना होगा। देश का नाम भारत है तो अंग्रेजी या उर्दू सहित हर भाषा में भी वह भारत ही रहेगा।

ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी कहती है कि, इंडियाना या इंडियनास वो आदिवासी महिलाएं हैं, जिन्होंने कभी शादी नहीं की, फिर भी वो बच्चे पैदा करती हैं। ब्रिटिशर्स चर्च की शादी के सिवा अन्य किसी रिवाज से संपन्न शादी को मान्यता नहीं देते अर्थात, उनके अनुसार, वह समुदाय, वंश, जाति-जनजाति जो Christian या ईसाई नहीं है, वो ‘इंडियन’ है।

ब्रिटिशर्स जब भी यूरोप के बाहर किसी दूसरे देश जाते थे और उन लोगों से मिलते थे, जो ईसाई धर्म का पालन नहीं करते थे, उन सबको इसी नाम यानि की ‘इंडियन’ कहकर ही बुलाते थे. चूंकि भारत में भी हिंदू धर्म में , चर्च में शादी की कोई परंपरा नहीं है, अतः भारत को ब्रिटिश इंडिया कहते थे। इसलिए अब समय आ चुका है की हमे अपनी भारतीय अस्मिता पर गर्व करते हुए स्वयं को इंडियन कहलाना बंद करना चाहिए। गवर्नमेंट ऑफ भारत होना चाहिए, न कि गवर्नमेंट ऑफ इंडिया।

विश्व स्तर पर सरकार को तथा जन मानस में भारत को ही स्वीकार्यता दिलाना जरूरी है।