शायद पाकिस्तानी यूट्यूबर ही बदलाव लायें वहां: विवेक रंजन श्रीवास्तव

विवेक रंजन श्रीवास्तव
ओल्ड मीनाल रेजीडेंसी,
भोपाल मप्र

शायद पाकिस्तान में सरकार वहां की मिलिट्री ही होती आई है। इसलिये आतंकवादियों को पालना पाकिस्तान की राष्ट्रीय नीति बन चुकी है। मिलिट्री पर आश्रित कथित इलेक्टेड सरकारें वहां जनहितकारी कार्य नहीं कर सकीं। सरकार और मिलिट्री का भला इसमें ही था कि जनता कट्टरपंथी धार्मिक सोच में उलझी रहे और प्रोग्रेसिव न हो पाये। जनता को कट्टरपंथ में उलझाकर ये हुक्मरान विदेशों में स्वयं का घर अकूत संपदा से भरते रहे हैं। पाकिस्तान में हर शहर में डिफेंस एरिया सबसे पाश इलाका होता है। वहां के सैन्य अधिकारीयों के पास बड़ी बड़ी जमीने, फैक्ट्रियां और सरकारी सुविधाओ की भरमार है। जनता बेहाल होती चली गई। भारत विरोध, काश्मीर का राग और आतंक ने पाकिस्तान का विस्व स्तर पर कबाड़ा कर रखा है। महिलाओ की हसरतों को बुरके में समेट दिया गया है। पीढ़ीयों से झूठ की बुनियाद पर पाकिस्तानी शिक्षा व्यवस्था हिन्दुओ और भारत के प्रति नफरत भरती रही है। वहां की किताबों में पढ़ाया जाता है कि पाकिस्तान ने भारत से हर युद्ध जीता है । पाकिस्तान को स्वयं के एटमी ताकत होने पर बेवजह का गर्व है।

विदेशो में मेरा सामना कई बार पढ़े लिखे पाकिस्तानियो से हुआ। न्यूयार्क युनिवर्सिटी में मेरे बेटे के साथ पढ़ रही पाकिस्तानी लड़की से वहां के आम आदमी के विषय कई चौंकाने वाले तथ्य सुनने समझने को मिले। मैंने कई पाकिस्तानियों की दूकानों से न्यूयार्क में सामान खरीदा, दुबई में उनकी टैक्सियों में सफर किये, उनसे अंतरंग बातें की उन्होने यहां तक कहा कि कई बार अमेरिकन समाज में वे स्वयं को हिन्दुस्तानी कहकर परिचय देते हैं क्योंकि रंग रूप से वे भारतीयों के सदृश ही होते हैं और खुद को भारतीय के रूप में प्रस्तुत करने से उन्हें सामाजिक सम्मान मिलता है।

पाकिस्तान के वर्तमान सामाजिक हालात बिना किसी बड़ी सामाजिक क्रांति के बदलना दुष्कर कार्य है। सरकारों के भरोसे तो यह असंभव लगता है। अब जनता ही वहाँ व्यवस्था में कोई बदलाव ला सकती है। जमाने की सच्चाई से पाकिस्तानी अवाम को रूबरू कराने का बड़ा कदम इन दिनों कुछ सोशल मीडीया एक्टिविस्ट ने उठाया हुआ है। भले ही इसकी शुरुवात उन्होंने बेरोजगारी से तंग आकर यू ट्यूब से कमाई के लिये की रही हो पर लगातार वे अच्छा काम कर रहे दिखते हैं। पाकिस्तानी जनता को भ्रामक सरकारी सूचनाओ और धार्मिक उन्माद से अलग वे वैश्विक स्थितियों में पाकिस्तान की ग्राउंड रियलटी दिखा रहे हैं। गनीमत यह है कि अब तक उन पर कोई सरकारी बैन नहीं लगाया गया है, अन्यथा मिलट्री तंत्र के लिये उन पर सेंसरशिप का डंडा चलाना बेहद सरल काम है।

ऐसे ही एक बेहतरीन यूट्यूबर हैं शोएब चौधरी जो रियल इंटरटेंमेंट टी वी चलाते हैं। उनके चेनल के 25 हजार करोड़ से ज्यादा व्यूज हैं। वे ज्वलंत मुद्दों पर पीओके तथा पाकिस्तानी जनता से सवाल जबाब कर भारत के साथ पाकिस्तानी संबंधो पर लगातार वीडियो बनाते और सचाई सामने रखते हैं। उनके 665 हजार सब्सक्राइबर हैं। भारत और पाकिस्तानी जनता इन हिन्दी चैनल्स को बहुत देखते हैं। इसी तरह के भारतीय यूट्यूबर मेजर गौरव आदि से ये पाकिस्तानी चैनल्स इंटरेक्शन भी करते हैं। जिहादियों के विरुद्ध ये चैनल्स खुल कर बोलते दिखते हैं। पाकिस्तानी पत्रकार चीमा, आरजू काजिमी तथा अन्य कई महिला यू ट्यूबर जन जागरण की इस मुहिम में बड़ा कार्य कर रहे हैं। शायद पाकिस्तानी यू ट्यूबर ही वहां सोशल मीडिया के जरिये बड़े सामाजिक बदलाव लायें।

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