मप्र लोक शिक्षण विभाग ने क्रमोन्नत वेतनमान दिये जाने पर लगाई रोक, वरिष्ठता दिनांक भी नजरअंदाज

मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के अध्यापक प्रकोष्ठ के प्रांतीय संयोजक मुकेश सिंह ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि 1 जुलाई 2018 के पश्चात 12 वर्ष पूर्ण करने वाले अध्यापक व नवीन संवर्ग के शिक्षकों को आयुक्त लोक शिक्षण मप्र भोपाल के एक तुगलकी आदेश के द्वारा क्रमोन्नति वेतनमान दिये जाने पर रोक लगाते हुए कहा गया है कि नवीन संवर्ग के लोक सेवकों को क्रमोन्नत वेतनमान स्वीकृत किये जाने के जो आदेश जारी किये गये हैं उसे शासन के बगैर सक्षम निर्देश जारी हुए स्वीकृती आदेश नियामानुसार नहीं हैं। 

वहीं सामान्य प्रशासन विभाग की स्वीकृति के ढुलमुल रवैए से अध्यापक संवर्ग में भारी आक्रोश व्याप्त है। शासन द्वारा अध्यापक संवर्ग के 21 वर्षों की सेवाओं को दरकिनार करते हुए 1 जुलाई 2018 से आदेश को बताकर अध्यापकों में आक्रोश बढा रहा है। जहां पूर्व में शासन द्वारा स्पष्ट कहा गया था कि नियुक्ति दिनांक की वरिष्ठता दिनांक होगी, वहीं अध्यापकों की वरिष्ठता नजरअंदाज की जा रही है। 

संघ के मुकेश सिंह, मंसूर बेग, आलोक अग्निहोत्री, नितिन अग्रवाल, श्याम नारायण तिवारी, राकेश दुबे, मनीष लोहिया, महेश कोरी, प्रणव साहू, विष्णु पाण्डे, आनंद रैकवार, पवन ताम्रकार, विनय नामदेव, मनोज सेन, मो. तारिक, धीरेन्द्र सोनी, गणेश उपाध्याय, प्रियांशु शुक्ला, राकेश पाण्डे, विजय कोष्टी, मनीष शुक्ला, सुदेश पाण्डे, संतोष तिवारी, सतीश पटैल आदि ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि अध्यापकों को नियुक्ति दिनांक से वरिष्ठता का लाभ दिया जाये तथा आयुक्त लोक शिक्षण का तुगलकी आदेश निरस्त किया जाये।