नए साल से तेज होगा विद्युत कंपनियों के निजीकरण का विरोध, चलाया जाएगा जनजागरण अभियान

मध्य प्रदेश विद्युत यूनाइटेड फोरम की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक प्रदेश संयोजक व्हीकेएस परिहार की अध्यक्षता में आयोजित की गई। बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि 3 जनवरी से यूनाइटेड फोरम के द्वारा ‘बिजली ही नहीं विद्युत उद्योग बचाओ’ जनजागरण अभियान अभियान चलाया जाएगा।

इसके साथ ही आगामी वर्ष को ‘निजीकरण विरोधी संकल्प वर्ष 2021’ घोषित किया गया है। जनजागरण अभियान में कंपनी मुख्यालय से लेकर वितरण केंद्र स्तर तक पोस्टर एवं पर्चे के माध्यम से एवं सभी रीजनल स्तर पर जन जागरण सेमिनार व सभाओं का आयोजन किया जावेगा।

जिसके माध्यम से विद्युत अधिकारियों, कर्मचारियों, आम उपभोक्ताओं, किसानों को निजीकरण के नुकसान एवं सरकार की निजीकरण नीतियों की जानकारी दी जाएगी। जनजागरण अभियान के अंतर्गत सभी जिला एवं संभागीय इकाइयों द्वारा विधायक, सांसद सहित जनप्रतिनिधियों को विद्युत के निजीकरण के विरोध में ज्ञापन सौंपा जाएगा। सभी जिला इकाइयां जनवरी के प्रथम सप्ताह से अपने अपने स्तर पर बैठकें भी करेंगी एवं जन जागरण अभियान चलाएंगी।

बैठक में फरवरी के प्रथम सप्ताह में भोपाल में एक विशाल रैली का आयोजन किये जाने का निर्णय लिया गया है। जिसमें प्रदेश के हजारों विद्युत अधिकारी व कर्मचारी भाग लेकर निजीकरण का विरोध एवं अपनी 5 सूत्री मांगों का समर्थन करेंगे। यूनाइटेड फोरम के द्वारा इसी रैली में अपने आगामी कार्यक्रम की घोषणा की जाएगी।

बैठक में बताया गया है विद्युत कंपनियों के संविदा कर्मचारी की नियुक्ति अनुबंध आधारित है, अनुबंध अवधि समाप्ति पर यदि अनुबंध का नवीनीकरण नहीं किया गया, तो इनकी सेवाएं समाप्त मानी जाती हैं। SBD में इनके सम्बन्ध में कोई उल्लेख नहीं है। अतः निजी कम्पनी में इनकी सेवाएं ट्रांसफर होने में संशय है, यदि सेवाएं ली भी गई तो अनुबंध की शर्ते और अवधि निजी कंपनी ही तय करेगी।

आउटसोर्स कर्मचारियों को तो कम्पनी का कर्मचारी ही नहीं माना जाता, इसलिए निजी कंपनी इन्हें लेने के लिए बाध्य नहीं होगी। यह निजी कंपनी ही तय करेगी कि वह इन्हें लेगी कि नहीं। यदि लेगी तो किन शर्तो पर कितने समय हेतु लेगी।

वहीं अनुकंपा नियुक्ति बंद हो जाएंगी, क्योंकि जब डिस्कॉम ही नहीं रहेगी तो उसमें अनुकम्पा नियुक्ति दिए जाने के नियम भी स्वतः समाप्त हो जायेंगे।