बिजली अधिकारी लगा रहे सरकार की साख पर बट्टा, विद्युत कनेक्शन नहीं मिलने से किसान परेशान

जबलपुर के बिलहरी बिजली कार्यालय के अंतर्गत पिगरी के आगे उमरिया, भीटा-टेमर के किसानों के खेतों में पानी सिंचाई का साधन ना होने के कारण सैकड़ों एकड़ कृषि भूमि बंजर हालत में पड़ी रहती है। उमरिया मुख्य मार्ग में बिजली की लाइन खिंची हुई है, लेकिन बीच में ट्रांसफार्मर नहीं लगे हैं, इस लाइन से किसानों को पंप के कनेक्शन नहीं दिए जाते। बिजली विभाग की तरफ से किसानों को सिंचाई के लिए बिजली कनेक्शन की कोई भी व्यवस्था नहीं है, खेतों में पानी सिंचाई के लिए कृषक एक से पांच किलो मीटर दूर से टीसी कनेक्शन लेते हैं। तब जाकर खेतों में पानी सींच पाते है।

किसानों ने बताया कि लंबी दूरी से लाइन या केबल डालकर बिजली जलाने से दुर्घटनाओं की पूरी संभावना बनी रहती है, अंधड़, हवा, पानी में वायर टूटकर गिर जाते हैं। वहीं राहगीरों को अनेक बार करंट लग चुका है। स्पार्क होने से अनेक स्थानों में आग भी लग चुकी है। सिंचाई के लिए बिजली कनेक्शन ना होने से सरकार की मनसा के अनुसार खेती लाभ का धंधा नहीं बन पा रही है। बिजली विभाग कनेक्शन की व्यवस्था कर दे तो हजारों किसान खेती कर सकते हैं।

क्षेत्रीय किसान हरिओम चौकसे ने बताया कि सिंचाई का साधन नहीं होने के कारण अपने 10 एकड़ खेत में गर्मी की फसल उड़द, मूंग की बुवाई नहीं कर पाए। इसी तरह अन्नू पटेल भी बिजली कनेक्शन नहीं होने के कारण मात्र गेहूं की फसल ही ले पा रहे हैं, धान या सब्जी नहीं लगा पा रहे हैं। वीरेंद्र पटेल, गुड्डू पटेल, राहुल यादव चार किलोमीटर दूर से तार खींच कर पंप के लिए कनेक्शन लेते है, पिगरी पुलिया के आगे बीरेंद्र पटेल, सुरेश उपाध्याय के खेत से बनडा बाबा पहाड़ उमरिया जानवरों के खिरका तक करीबन 20 बिजली के खंभों में 11 हजार केवी के तार लगे हैं। बिजली भी चालू है, कुछ खंबे टेढ़े होकर गिरने वाले है, अधिक दूरी होने से तार नीचे लटक रहे हैं।

बीच में ट्रांसफार्मर नहीं लगाए गए है, जिससे किसान बिजली के कनेक्शन नहीं ले पाते हैं। तीन किलो मीटर की दूरी में एक ट्रांसफार्मर लगाया गया है। इससे घरों में  कनेक्शन दिए गए है कुछ किसान यहीं से तार खीच कर  कनेक्शन लेते हैं। क्षेत्रीय किसान बिनीत पटेल, उमेश यादव, रोहित यादव, पुरषोत्तम उपाध्याय, राजू पटेल ने किसानों के खेतों में बिजली कनेक्शन के लिए ट्रांसफार्मर लगाने की मांग की है। जिससे सरकार की योजना के अनुसार खेती को आय का साधन बनाया जा सके।