सिहोरा को जिला बनाने से सरकार को होगी लाखों की बचत, अधिकारी-कर्मचारी भी नहीं होंगे परेशान

सिहोरा जिला ना होने से अधिकारियों और कर्मचारियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, सरकारी कार्य के लिए बार-बार जबलपुर आना जाना पड़ता है, सरकारी वाहन या सरकारी व्यय पर आने-जाने से सरकारी खजाने पर लाखों रुपए का भार पड़ता है। मध्य प्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा संरक्षक योगेन्द्र दुबे एवं जिला अध्यक्ष अटल उपाध्याय का मानना है कि इससे अधिकारियों और कर्मचारियों का भला होगा, क्योंकि कर्मचारियों के अधिकतर कार्यालय जबलपुर में है।

उन्होंने कहा कि इससे शासकीय योजनाओं का लाभ जनता को समय पर नहीं मिल पाता, अधिकारियों और कर्मचारियों को कार्य के लिए भी अधिक समय नहीं मिल पाता है। आने जाने में अनावश्यक समय खराब होता है। योगेन्द्र दुबे एवं जिला अध्यक्ष अटल उपाध्याय ने बताया है की सिहोरा के जिला ना होने से जबलपुर के कोषालय, शिक्षा, स्वास्थ, वन, कृषि, राजस्व, स्वास्थ और वित्त विभाग के कार्यालय प्रमुख भारी परेशान करते है। कार्यालयों के अनेक चक्कर लगाने पड़ते है।

मध्य प्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के जिला अध्यक्ष अटल उपाध्याय, देव दोनेरिया, योगेंद्र मिश्रा, नरेंद्र सैन, केजी पाठक, मनीष चौबे, संजू उर्मलिया, प्रदीप राय, मनोज राय, संजय पटैल, मनीष लोहिया, सुरेंद्र जैन, विनय नामदेव, सतीश उपाध्याय, अजय दुबे ने सिहोरा को जिला बनने की मांग की है, जिससे अधिकारियों और कर्मचारियों को शासन की योजनाओं को जनता तक पहुंचने में अधिक समय मिले और उनके प्रकरणों का समय पर निराकरण हो सके।