रोजगार दिवस मनाने वाली एमपी सरकार ने बिजली आउटसोर्स कर्मियों को किया रोजी-रोटी का मोहताज

एमपी में बिजली आउटसोर्स-संविदा आंदोलन की वजह से पूर्व क्षेत्र कंपनी में 367, पश्चिम क्षेत्र में 248 एवं मध्य क्षेत्र में 413 कर्मी सहित कुल 1018 बिजली आउटसोर्स कर्मचारियों को प्रदेश की छः बिजली कंपनियों ने नौकरी से निकाल दिया है। जिनमें से अनेक कर्मचारी उज्जैन महाकाल से 200 किमी पैदल चलकर मुख्यमंत्री कार्यालय ज्ञापन देने पहुँचे और यादगार-ए-शाहजहाँनी पार्क में इन कर्मचारियों ने धरना-प्रदर्शन किया।

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यात्रा समापन पर मप्र बिजली आउटसोर्स कर्मचारी संगठन के प्रांतीय संयोजक मनोज भार्गव, राहुल मालवीय, शिव राजपूत, शशांक सेन व अमित गुप्ता के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मण्डल ने मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन मुख्यमंत्री के निज सहायक संतोष शर्मा को सौंपा। ज्ञापन में इस बात को लेकर आक्रोश प्रकट किया गया कि मप्र सरकार रोजगार दिवस मना रही है, पर बिजली अधिकारियों ने ठेकेदारों से मिलकर सैकड़ों आउटसोर्स कर्मचारियों को ब्लैक लिस्टेड कर उन्हें रोजी रोटी से मोहताज कर दिया है।

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जबकि इन ठेका कर्मी का दोष इतना था कि वह मप्र में 5 वर्ष में की जाने वाली न्यूनतम वेतन वृद्धि सातवें वर्ष में सरकार से दिये जाने की गुहार लगा रहे थे एवं विभागीय संविलियन व विभाग से सीधे वेतन दिलाये जाने का आग्रह कर रहे थे, पर आउटसोर्स कर्मचारियों के साथ ही 50 बिजली संविदा कर्मचारियों का अनुबंध का नवीनीकरण रोक दिया गया है, जिससे इन कर्मचारियों की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है। अनेकों संविदा व नियमित कर्मियों का दूर-दर्राज क्षेत्र में ट्रांसफर कर दिया गया है।

आंदोलन के दौरान प्रांतीय संयोजक मनोज भार्गव को भी ग्वालियर से 500 किमी दूर श्योपुर ढोंढर ट्रांसफर कर दिया गया है। अब यह कर्मचारी आंदोलन के दौरान बिजली कम्पनियों द्वारा की गई सभी कार्यवाही को निरस्त करने हेतु मुख्यमंत्री एवं मंत्रीगण से गुहार लगा रहे हैं। ज्ञापन में प्रदेश के मुख्यमंत्री से आउटसोर्स कर्मियों के मौजूदा पदों में 5 प्रतिशत पदों का इजाफा करने की माँग की गई है, ताकि मप्र के 45 हजार कर्मचारियों को साप्ताहिक अवकाश के दिनों में काम करने पर मजबूर नहीं होना पड़े। साथ ही आंदोलन के दौरान पुराने हटाये गये कर्मचारियों के साथ नये कर्मचारी रखने से उत्पन्न संकट का भी समाधान निकल सके।